त्यौहार 2025 - हिन्दू पर्व तिथि, मुहूर्त एवं पूजा विधि
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हिन्दू त्यौहार 2025 और मुहूर्त

जानें सभी त्यौहारों की तारीख, मुहूर्त और पूजा विधि। साथ ही जानें हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले प्रत्येक पर्व और त्यौहार से जुड़ी पौराणिक मान्यता और शास्त्रों के अनुसार उनके नियम।

जैसे भारत वर्ष तीर्थों की भूमि है उसी प्रकार हिन्दू धर्म पर्वों और तीज-त्यौहारों के लिए जाना जाता है। प्राचीन काल से ही हिन्दू पर्व सतत रूप से मनाये जा रहे हैं। हिन्दू त्यौहार हमेशा से उत्सव और अपने प्रियजनों से मेल-मिलाप का माध्यम रहे हैं। इसलिए भारत सहित विश्व के अन्य देशो में हिन्दू त्यौहारों को बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है।

हिन्दू उत्सवों का महत्व

विश्वभर में भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। सदियों से भारत की यह संस्कृति दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती आयी है। जिस प्रकार मौसम के कई रूप हैं उसी प्रकार यहाँ की संस्कृति में भी विविधता है। उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक, गुजरात से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारत में विभिन्न प्रकार की लोक संस्कृतियाँ देखने को मिलती हैं। यहाँ भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार लोगों की भाषाएँ, वेश-भूषा, रंग रूप और कद कांठी भले ही अलग हों परंतु भारत राष्ट्र सनातन परंपरा के कारण एक सूत्र में बंधा है।

हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले सभी त्यौहार धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक सौहार्द, भाईचारा, प्रेम और एकता का संदेश देते हैं अर्थात हम यह कह सकते हैं कि प्रत्येक पर्व किसी न किसी विशेष उद्देश्य के लिए मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में सैंकड़ों पर्व व त्यौहार मनाएँ जाते हैं। ये उत्सव भौगोलिक और सामाजिक दृष्टि भिन्न-भिन्न स्थानों और अलग-अलग मौसम में मनाये जाते हैं।

प्रमुख रूप से मनाए जाने वाले हिन्दू पर्व

हिन्दू धर्म के कई त्यौहार ऐसे हैं जिन्हें आज हम ग्लोबल फेस्टिवल (वैश्विक पर्व) भी कह सकते हैं। इनमें दीवाली, होली, रक्षा बंधन, दशहरा, नवरात्रि आदि बहुत ही लोकप्रिय पर्व हैं। जिन्हें देश और दुनिया में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा भी कई क्षेत्रीय त्यौहार हैं जो अपनी विशेषता के कारण बहुत ही प्रसिद्ध है। हिन्दू कैलेंडर में 12 मास में हर एक माह में कोई न कोई बड़ा धार्मिक अथवा सांस्कृतिक त्यौहार अवश्य ही मनाया जाता है।

चैत्र माह में मनाए जाने वाले हिन्दू पर्व

हिन्दू पंचांग के अनुसार के वर्ष का पहला माह चैत्र होता है और चैत्र माह की प्रतिपदा से हिन्दू धर्म का प्रमुख पर्व चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म के लाखों अनुयायी नौ दिनों तक माता के नाम का उपवास रखते हैं। इसके बाद इसी माह में चैत्र शुक्ल नवमी को रामनवमी का पर्व आता है जो कि भगवान राम का जन्म दिन है। इसके बाद गुड़ी पाड़वा और उगादि पर्व भी चैत्र मास में मनाए जाते हैं। हनुमान जयंती का त्यौहार भी चैत्र मास में मनाया जाता है।

वैशाख माह में मनाए जाने वाले हिन्दू उत्सव

वैशाख मास में वैशाखी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व उत्तर भारत के पंजाब राज्य में बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है। मुख्य रूप से यह पर्व रबि की फसल के पक जाने की ख़ुशी में मनाया जाता है। वहीं अक्षय तृतीया का पर्व भी वैशाख माह में पड़ता है। कई बार लोग इस त्यौहार को आखा तीज भी कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन किया गया दान और स्नान, यज्ञ, जप आदि सभी कर्मों का फल अनन्त और अक्षय होता है। बुध पूर्णिमा का पर्व भी इसी माह में आता है।

ज्येष्ठ-आषाढ़ माह में मनाए जाने वाले हिन्दू त्यौहार

ज्येष्ठ माह में नारद एवं शनि जयंती मनायी जाती है। साथ ही इस महीने में गंगा दशहरा पर्व भी मनाया जाता है। इसमें गंगा स्नान का महत्व माना जाता है। ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली निर्जला एकादशी व्रत भी हिन्दू धर्म का पावन पर्व है। आषाढ़ मास में जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा) में मनाया जाने वाला त्यौहार है। आषाढ़ माह में पड़ने वाली देव शयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा स्वयं में धार्मिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्वपूर्ण पर्व हैं।

सावन माह में मनाए जाने वाले हिन्दू पर्व

हिन्दू धर्म में सावन को पवित्र मास माना जाता है। इस माह में पड़ने वाले सावन सोमवार व्रत का विशेष महत्व है। इस महीने में लाखों श्रद्धालु काँवड़ यात्रा के द्वारा गंगा नदी का पवित्र जल काँवड़ में भरकर लाते हैं और उसी जल से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। इसी माह में हरियाली तीज और नाग पंचमी का पर्व आता है। सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षा बंधन पर्व हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। वहीं ओणम दक्षिण भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है जो सावन माह में ही मनाया जाता है। गायत्री जयंती भी सावन मास में आती है।

भाद्रपद-अश्विन माह में मनाए जाने वाले उत्सव

वहीं भाद्रपद माह में कृष्ण जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। अजा एकादशी और गणेश चतुर्थी के साथ-साथ विश्वकर्मा पूजा भाद्रपद माह के प्रमुख त्यौहार हैं। गणेश विसर्जन भी इसी माह में किया जाता है। भारत के पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र में गणेश विसर्जन को प्रमुखता से मनाया जाता है। वहीं अश्विन माह में श्राद्ध, नवरात्रि, दुर्गाष्टमी और दशहरा आदि पर्व आते हैं। शरद पूर्णिमा भी अश्विन मास का एक प्रमुख त्यौहार है।

कार्तिक मास में मनाए जाने वाले हिन्दू त्यौहार

कार्तिक मास में पड़ने वाला करवा चौथ व्रत हिन्दू धर्म का प्रमुख त्यौहार है। इस दिन विवाहित महिलाएँ अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए उपवास रखती हैं। इसके अलावा कार्तिक माह में धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भैया दूज के साथ छठ पूजा और तुलसी विवाह का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं।

मार्गशीर्ष माह में में मनाए जाने वाले पर्व

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली मोक्षदा एकादशी का हिन्दू धर्म बड़ा महत्व है। वैदिक ग्रंथों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरव-पांडव युद्ध के बीच अर्जुन को गीता का पाठ पढ़ाया था। इसलिए इस दिन गीता जयंती का पर्व भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।

पौष-माघ में मनाए जाने वाले हिन्दू त्यौहार

पौष माह में पौष पूर्णिमा का महत्व है। वहीं उत्तर भारत में माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकाष्टी चतुर्थी मनायी जाती है। इस का संबंध भगवान गणेश जी से है। कई बार इस पर्व को सकट चौथ के नाम से भी जानते हैं। इसी महीने में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही दक्षिण भारत का प्रमुख पर्व पोंगल भी माघ महीने में मनाया जाता है। माघ के महीने में पड़ने वाली मौनी अमावश्या भी हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इसके साथ ही बसंत पंचमी और माघ पूर्णिमा का पर्व भी इसी महीने में आता है।

फाल्गुन मास में मनाए जाने वाले हिन्दू उत्सव

फाल्गुन मास में महा शिवरात्रि और रंगों का त्यौहार होली आती है। दोनों ही हिन्दुओं के प्रमुख पर्व हैं। इस प्रकार आपने देखा की वर्ष के 12 महीनों में हिन्दू त्यौहारों का सिलसिला लगा रहता है।

व्रत एवं त्यौहारों से संबंधित विधि-विधान क्यों होता है आवश्यक?

हिन्दू धर्म में व्रत एवं त्यौहार के दिन पूजा-विधि का विधान है जिसमें नियमों के अनुसार ईश्वर की आराधना की जाती है। ऐसे कार्यों को शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है। क्योंकि शुभ मुहूर्त पर किये गए कार्य का परिणाम मंगलकारी और जीवन में खुशहाली लाने वाला होता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड में होने वाली खगोलीय घटनाओं का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। क्योंकि विभिन्न ग्रहों की चाल के फलस्वरूप जीवन में परिवर्तन आते हैं। ये बदलाव हमें अच्छे और बुरे समय का आभास कराते हैं।

प्रेम, भाई-चारा, एकता और आर्थिक उन्नति का संदेश हैं हिन्दू पर्व

हिन्दू त्यौहारों में अधिकतर ऐसे त्यौहार हैं जो समाज को प्रेम, सामाजिक समरसता और एकता का संदेश देते हैं। उदाहरण के तौर पर होली का त्यौहार ऐसा पर्व है जिसमें लोग गिले-शिकवे को मिटाकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और प्रेम पूर्वक गले मिलते हैं। वहीं विजयादशी का पर्व हमें बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत का संदेश देता है।

वहीं दीपावली का पर्व जीवन से अंधकार को मिटाकर उसमें प्रकाश पुंज को भरता है। इसके अलावा हिन्दू त्यौहार आर्थिक संपन्नता का संदेश भी देते हैं। किसी भी देश में इतने अधिक त्यौहार नहीं मनाए जाते जितने की भारत में मनाए जाते हैं। इसलिए प्राचीन काल में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।

हमारी वेबसाइट एस्ट्रोसेज डॉट कॉम पर आपको सभी प्रमुख हिन्दू पर्व की तिथि, मुहूर्त एवं उनकी पूजा-विधि तथा त्यौहारों से संबंधित इतिहास की जानकारी प्राप्त होगी। उम्मीद है हिन्दू त्यौहार से जुड़ा यह लेख आपको अच्छा लगा होगा।

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