• Talk To Astrologers
  • Talk To Astrologers
  • Brihat Horoscope
  • Personalized Horoscope 2024
  1. भाषा :

उत्तरायण संक्रांत 2066 दिनांक व मुहूर्त

2066 मध्ये उत्तरायण कधी आहे?

15

जानेवारी, 2066

(शुक्रवार)

उत्तरायण

उत्तरायण संक्रांत वेळ New Delhi, India

संक्रांत क्षण :
21:02:25 जानेवारी, 14

चला जाणून घेऊया 2066 मध्ये उत्तरायण संक्रांत केव्हा आहे व उत्तरायण संक्रांत 2066 चे दिनांक व मुहूर्त.

सूर्य का उत्तर दिशा की ओर गमन उत्तरायण कहलाता है। दरअसल उत्तरायण सूर्य की एक दशा है। उत्तरायण का शाब्दिक अर्थ है उत्तर की ओर गमन। उत्तरायण काल की शुरुआत 14 जनवरी से होती है। इस दौरान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस मौके पर मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र में यह त्यौहार उत्तरायण के नाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि उत्तरायण काल शुभ फल देने वाला होता है। उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है इसलिए इस काल में नए कार्य, यज्ञ व्रत, अनुष्ठान, विवाह, मुंडन जैसे कार्य करना शुभ माना जाता है। उत्तरायण के मौके पर गंगा और यमुना नदी में स्नान का बड़ा महत्व है। गुजरात में उत्तरायण के मौके पर पतंग उत्सव मनाया जाता है।

हिंदू धर्म में उत्तरायण काल का महत्व

हिंदू धर्म में सूर्य का दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर गमन करना बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि जब सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर चलता है, इस दौरान सूर्य की किरणों को खराब माना गया है, लेकिन जब सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगता है, तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं। इस दौरान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मकर संक्रांति भी कहा जाता है, जो कि हिंदू धर्म में एक बड़ा पर्व है। उत्तरायण के बाद ऋतु और मौसम में परिवर्तन होने लगता है। इसके फलस्वरूप शरद ऋतु यानि ठंड का मौसम धीरे-धीरे समाप्त होने लगता है। उत्तरायण की वजह से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। जब सूर्य उत्तरायण होता है तो यह तीर्थ और उत्सवों का समय होता है।

उत्तरायण काल पर होने वाले वैदिक कर्म कांड

शास्त्रों में उत्तरायण काल को सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है जबकि दक्षिणायन को नकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि उत्तरायण काल के दौरान किए गए कार्य शुभ फल देने वाले होते हैं।

1.  उत्तरायण काल को ऋषि मुनियों ने जप, तप और सिद्धि प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना है।
2.  उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है। क्योंकि इस समय सूर्य देवताओं का अधिपति होता है।
3.  मकर संक्रांति उत्तरायण काल का पहला दिन होता है लिहाजा इस दिन स्नान, दान, और पुण्य करना शुभ फलदायी होता है।
4.  6 महीने का समय उत्तरायण काल कहलाता है। भारतीय महीने के अनुसार यह माघ से आषाढ़ महीने तक माना जाता है।
5.  उत्तरायण काल में गृह प्रवेश, दीक्षा ग्रहण, विवाह और यज्ञोपवित संस्कार आदि शुभ माना जाता है।

सूर्य के उत्तरायण काल से जुड़ीं पौराणिक मान्यताएं

1.  उत्तरायण काल के महत्व का वर्णन शास्त्रों में भी मिलता है। हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीमद भागवत गीता में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि, उत्तरायण के 6 माह के शुभ काल में पृथ्वी प्रकाशमय होती है, इसलिए इस प्रकाश में शरीर का त्याग करने से मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाभारत काल के दौरान भीष्म पितामह जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। उन्होंने भी मकर संक्रांति के दिन शरीर का त्याग किया था।
2.  उत्तरायण काल के पहले दिन यानि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का बड़ा महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार महाराजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए वर्षों की तपस्या करके गंगा जी को पृथ्वी पर आने को मजबूर कर दिया था। इसी दिन गंगा जी स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर अवतरित हुईं। मकर संक्रांति पर ही महाराजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया था और उनके पीछे चलते-चलते गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में समा गईं थीं।

वैदिक ज्योतिष में उत्तरायण काल का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में सूर्य दो बार राशि परिवर्तन करता है और यही परिवर्तन उत्तरायण और दक्षिणायन के नाम से जाना जाता है। काल गणना के अनुसार जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है इस समय को उत्तरायण काल कहा जाता है। इसके बाद सूर्य कर्क राशि से धनु राशि तक संचरण करता है इसे दक्षिणायन काल कहा जाता है। इस तरह सूर्य के दोनों अयन 6-6 महीने के होते हैं।

इसके विपरीत उत्तरायण के 6 महीने बाद यानि 14 जुलाई को सूर्य दक्षिणायन हो जाता है। दक्षिणायन काल में सूर्य दक्षिण दिशा की ओर झुकाव के साथ गति करने लगता है। मान्यता है कि दक्षिणायन का काल देवताओं की रात्रि है। दक्षिणायन में रातें लंबी हो जाती है। दक्षिणायन व्रत और उपवासों का समय होता है। इस दिन कई शुभ और मांगलिक कार्य का करना निषेध होता है। सूर्य का दक्षिणायन होना कामनाओं और भोग की वृद्धि को दर्शाता है इसलिए इस समय में किए गए कार्य जैसे पूजा, व्रत आदि से दुख और रोग दूर होते हैं।

हिंदू धर्म में उत्तरायण आस्था का महापर्व है। इस अवसर पर स्नान, दान, धर्म और पूर्वजों को तर्पण करने का विशेष महत्व है। उत्तरायण के मौके पर देशभर में कई जगह मेले लगते हैं। खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत में बड़े मेलों का आयोजन होता है। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान, धर्म करते हैं। मत्स्य पुराण और स्कंद पुराण में उत्तरायण के महत्व का विशेष उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि आध्यात्मिक प्रगति और ईश्वर की पूजा-अर्चना के लिए उत्तरायण काल विशेष फलदायी होता है।

अ‍ॅस्ट्रोसेज मोबाइल वरती सर्व मोबाईल ऍप

अ‍ॅस्ट्रोसेज टीव्ही सदस्यता घ्या

      रत्न विकत घ्या

      AstroSage.com वर आश्वासनासह सर्वोत्कृष्ट रत्न

      यंत्र विकत घ्या

      AstroSage.com वर आश्वासनासह यंत्राचा लाभ घ्या

      नऊ ग्रह विकत घ्या

      ग्रहांना शांत करण्यासाठी आणि आनंदी आयुष्य मिळवण्यासाठी यंत्र AstroSage.com वर मिळावा

      रुद्राक्ष विकत घ्या

      AstroSage.com वर आश्वासनासह सर्वोत्कृष्ट रुद्राक्ष