• Talk To Astrologers
  • Talk To Astrologers
  • Brihat Horoscope
  • Personalized Horoscope 2024
  1. भाषा :

2024 कार्तिक पौर्णिमा व्रत

2024 मध्ये कार्तिक पौर्णिमा कधी आहे?

15

नोव्हेंबर, 2024

(शुक्रवार)

कार्तिक पौर्णिमा व्रत

कार्तिक पौर्णिमा व्रत मुहूर्त New Delhi, India

पौर्णिमा तिथी सुरवात 06:21:14 पासुन. नोव्हेंबर 15, 2024 रोजी
पौर्णिमा तिथी समाप्ती 03:00:12 पर्यंत. नोव्हेंबर 16, 2024 रोजी

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन महादेव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था, इसलिए इसे ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ भी कहते हैं। यदि इस दिन कृतिका नक्षत्र हो तो यह ‘महाकार्तिकी’ होती है। वहीं भरणी नक्षत्र होने पर इस पूर्णिमा का विशेष फल प्राप्त होता है। रोहिणी नक्षत्र की वजह से इसका महत्व और बढ़ जाता है।

मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर संध्या के समय भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान का फल दस यज्ञों के समान होता है। ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने इसे महापुनीत पर्व कहा है।

कार्तिक पूर्णिमा व्रत और धार्मिक कर्म

कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान, दीपदान, होम, यज्ञ और ईश्वर की उपासना का विशेष महत्व है। इस दिन किये जाने वाले धार्मिक कर्मकांड इस प्रकार हैं-

●  पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल जाग कर व्रत का संकल्प लें और किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें।
●  इस दिन चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसुईया और क्षमा इन छः कृतिकाओं का पूजन अवश्य करना चाहिए।
●  कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में व्रत करके बैल का दान करने से शिव पद प्राप्त होता है।
●  गाय, हाथी, घोड़ा, रथ और घी आदि का दान करने से संपत्ति बढ़ती है।
●  इस भेड़ का दान करने से ग्रहयोग के कष्टों का नाश होता है।
●  कार्तिक पूर्णिमा से प्रारंभ होकर प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
●  कार्तिक पूर्णिमा का व्रत रखने वाले व्रती को किसी जरुरतमंद को भोजन और हवन अवश्य कराना चाहिए।
●  इस दिन यमुना जी पर कार्तिक स्नान का समापन करके राधा-कृष्ण का पूजन और दीपदान करना चाहिए।


कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा वर्षभर की पवित्र पूर्णमासियों में से एक है। इस दिन किये जाने वाले दान-पुण्य के कार्य विशेष फलदायी होते हैं। यदि इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और विशाखा नक्षत्र पर सूर्य हो तो पद्मक योग का निर्माण होता है, जो कि बेहद दुर्लभ है। वहीं अगर इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और बृहस्पति हो तो, यह महापूर्णिमा कहलाती है। इस दिन संध्याकाल में त्रिपुरोत्सव करके दीपदान करने से पुनर्जन्म का कष्ट नहीं होता है।

कार्तिक पूर्णिमा की पौराणिक कथा

पुरातन काल में एक समय त्रिपुर राक्षस ने एक लाख वर्ष तक प्रयागराज में घोर तप किया। उसकी तपस्या के प्रभाव से समस्त जड़-चेतन, जीव और देवता भयभीत हो गये। देवताओं ने तप भंग करने के लिए अप्सराएँ भेजीं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। त्रिपुर राक्षस के तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी स्वयं उसके सामने प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा।

त्रिपुर ने वरदान मांगा कि, ‘मैं न देवताओं के हाथों मरूं, न मनुष्यों के हाथों से’। इस वरदान के बल पर त्रिपुर निडर होकर अत्याचार करने लगा। इतना ही नहीं उसने कैलाश पर्वत पर भी चढ़ाई कर दी। इसके बाद भगवान शंकर और त्रिपुर के बीच युद्ध हुआ। अंत में शिव जी ने ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु की मदद से त्रिपुर का संहार किया।

अ‍ॅस्ट्रोसेज मोबाइल वरती सर्व मोबाईल ऍप

अ‍ॅस्ट्रोसेज टीव्ही सदस्यता घ्या

      रत्न विकत घ्या

      AstroSage.com वर आश्वासनासह सर्वोत्कृष्ट रत्न

      यंत्र विकत घ्या

      AstroSage.com वर आश्वासनासह यंत्राचा लाभ घ्या

      नऊ ग्रह विकत घ्या

      ग्रहांना शांत करण्यासाठी आणि आनंदी आयुष्य मिळवण्यासाठी यंत्र AstroSage.com वर मिळावा

      रुद्राक्ष विकत घ्या

      AstroSage.com वर आश्वासनासह सर्वोत्कृष्ट रुद्राक्ष