पद्मिनी एकादशी व्रत 2026
2026 में पद्मिनी एकादशी कब है?
27
मई, 2026
(बुधवार)

पद्मिनी एकादशी व्रत मुहूर्त New Delhi, India के लिए
पद्मिनी एकादशी पारणा मुहूर्त :
05:24:42 से 08:10:11 तक 28, मई को
अवधि :
2 घंटे 45 मिनट
अधिक मास या फिर मल मास में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को कहा जाता है। इसे कमला या पुरुषोत्तमी एकादशी भी कहते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत जो महीना अधिक हो जाता है उस पर निर्भर करता है। अतः पद्मिनी एकादशी का उपवास करने के लिए कोई चन्द्र मास तय नहीं है। अधिक मास को लीप के महीने के नाम से भी जाना जाता है।
पद्मिनी एकादशी पूजा एवं व्रत विधि
● प्रातः स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजा करें
● निर्जल व्रत रखकर विष्णु पुराण का श्रवण अथवा पाठ करें
● रात्रि में भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें
● रात में प्रति पहर विष्णु और शिवजी की पूजा करें
● प्रत्येक प्रहर में भगवान को अलग-अलग भेंट प्रस्तुत करें जैसे- प्रथम प्रहर में नारियल, दूसरे प्रहर में बेल, तीसरे प्रहर में सीताफल और चौथे प्रहर में नारंगी और सुपारी आदि
● द्वादशी के दिन प्रात: भगवान की पूजा करें
● फिर ब्राह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा सहित विदा करें
● इसके पश्चात स्वयं भोजन करें
पद्मिनी एकादशी का महत्व
ऐसा माना जाता है कि पद्मिनी एकादशी भगवान विष्णु जी को अति प्रिय है इसलिए इस व्रत का विधि पूर्वक पालन करने वाला विष्णु लोक को जाता है तथा सभी प्रकार के यज्ञों, व्रतों एवं तपस्चर्या का फल प्राप्त कर लेता है।
पद्मिनी एकादशी व्रत कथा
त्रेता युग में एक पराक्रमी राजा कीतृवीर्य था। इस राजा की कई रानियां थी परंतु किसी भी रानी से राजा को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। संतानहीन होने के कारण राजा और उनकी रानियां तमाम सुख सुविधाओं के बावजूद दु:खी रहते थे। संतान प्राप्ति की कामना से तब राजा अपनी रानियों के साथ तपस्या करने चल पड़े। हज़ारों वर्ष तक तपस्या करते हुए राजा की सिर्फ हड्डियां ही शेष रह गयी परंतु उनकी तपस्या सफल न हो सकी। रानी ने तब देवी अनुसूया से उपाय पूछा। देवी ने उन्हें मल मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा।
अनुसूया ने रानी को व्रत का विधान भी बताया। रानी ने तब देवी अनुसूया के बताये विधान के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा। व्रत की समाप्ति पर भगवान प्रकट हुए और वरदान मांगने के लिए कहा। रानी ने भगवान से कहा प्रभु आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरे बदले मेरे पति को वरदान दीजिए। भगवान ने तब राजा से वरदान मांगने के लिए कहा। राजा ने भगवान से प्रार्थना की कि आप मुझे ऐसा पुत्र प्रदान करें जो सर्वगुण सम्पन्न हो जो तीनों लोकों में आदरणीय हो और आपके अतिरिक्त किसी से पराजित न हो। भगवान तथास्तु कह कर विदा हो गये। कुछ समय पश्चात रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया जो कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से जाना गया। कालान्तर में यह बालक अत्यंत पराक्रमी राजा हुआ जिसने रावण को भी बंदी बना लिया था।
ऐसा कहते हैं कि सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पुरुषोत्तमी एकादशी के व्रत की कथा सुनाकर इसके माहात्म्य से अवगत करवाया था।
एस्ट्रोसेज मोबाइल पर सभी मोबाइल ऍप्स
एस्ट्रोसेज टीवी सब्सक्राइब
- साप्ताहिक अंक फल (06 अप्रैल से 12 अप्रैल, 2025): कैसा रहेगा यह सप्ताह आपके लिए?
- महाअष्टमी 2025 पर ज़रूर करें इन नियमों का पालन, वर्षभर बनी रहेगी माँ महागौरी की कृपा!
- बुध मीन राशि में मार्गी, इन पांच राशियों की जिंदगी में आ सकता है तूफान!
- दुष्टों का संहार करने वाला है माँ कालरात्रि का स्वरूप, भय से मुक्ति के लिए लगाएं इस चीज़ का भोग !
- दुखों, कष्टों एवं विवाह में आ रही बाधाओं के अंत के लिए षष्ठी तिथि पर जरूर करें कात्यायनी पूजन!
- मंगल का कर्क राशि में गोचर: किन राशियों के लिए बन सकता है मुसीबत; जानें बचने के उपाय!
- चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन, इन उपायों से मिलेगी मां स्कंदमाता की कृपा!
- मंगल का कर्क राशि में गोचर: देश-दुनिया और स्टॉक मार्केट में आएंगे उतार-चढ़ाव!
- चैत्र नवरात्रि 2025 का चौथा दिन: इस पूजन विधि से करें मां कूष्मांडा को प्रसन्न!
- रामनवमी और हनुमान जयंती से सजा अप्रैल का महीना, इन राशियों के सुख-सौभाग्य में करेगा वृद्धि
- [अप्रैल 6, 2025] राम नवमी
- [अप्रैल 7, 2025] चैत्र नवरात्रि पारणा
- [अप्रैल 8, 2025] कामदा एकादशी
- [अप्रैल 10, 2025] प्रदोष व्रत (शुक्ल)
- [अप्रैल 12, 2025] हनुमान जयंती
- [अप्रैल 12, 2025] चैत्र पूर्णिमा व्रत
- [अप्रैल 14, 2025] बैसाखी
- [अप्रैल 14, 2025] मेष संक्रांति
- [अप्रैल 14, 2025] अम्बेडकर जयन्ती
- [अप्रैल 16, 2025] संकष्टी चतुर्थी
- [अप्रैल 24, 2025] वरुथिनी एकादशी
- [अप्रैल 25, 2025] प्रदोष व्रत (कृष्ण)
- [अप्रैल 26, 2025] मासिक शिवरात्रि
- [अप्रैल 27, 2025] वैशाख अमावस्या
- [अप्रैल 30, 2025] अक्षय तृतीया