अनंत चतुर्दशी 2026 दिनांक व मुहूर्त
2026 मध्ये अनंत चतुर्दशी कधी आहे?
25
सप्टेंबर, 2026
(शुक्रवार)

अनंत चतुर्दशी पुजा मुहूर्त New Delhi, India
अनंत चतुर्दशी पुजा मुहूर्त :
06:10:39 ते 23:08:23
कालावधी :
16 तास 57 मिनिटे
चला जाणून घेऊया 2026 मध्ये अनंत चतुर्दशी केव्हा आहे व अनंत चतुर्दशी 2026 चे दिनांक व मुहूर्त.
अनंत चतुर्दशी व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है, इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है। भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन अनंत भगवान (भगवान विष्णु) की पूजा के पश्चात बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है। ये कपास या रेशम से बने होते हैं और इनमें चौदह गाँठें होती हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है। भारत के कई राज्यों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान कई जगहों पर धार्मिक झांकियॉं निकाली जाती है।अनंत चतुर्दशी का शास्त्रोक्त नियम
1. यह व्रत भाद्रपद मासमें शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इसके लिए चतुर्दशी तिथि सूर्य उदय के पश्चात दो मुहूर्त में व्याप्त होनी चाहिए।
2. यदि चतुर्दशी तिथि सूर्य उदय के बाद दो मुहूर्त से पहले ही समाप्त हो जाए, तो अनंत चतुर्दशी पिछले दिन मनाये जाने का विधान है। इस व्रत की पूजा और मुख्य कर्मकाल दिन के प्रथम भाग में करना शुभ माने जाते हैं। यदि प्रथम भाग में पूजा करने से चूक जाते हैं, तो मध्याह्न के शुरुआती चरण में करना चाहिए। मध्याह्न का शुरुआती चरण दिन के सप्तम से नवम मुहूर्त तक होता है।
अनंत चतुर्दशी व्रत और पूजा विधि
अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने का विधान है। यह पूजा दोपहर के समय की जाती है। इस व्रत की पूजन विधि इस प्रकार है-
1. इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर कलश स्थापना करें।
2. कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें या आप चाहें तो भगवान विष्णु की तस्वीर भी लगा सकते हैं।
3. इसके बाद एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें, इसमें चौदह गांठें लगी होनी चाहिए। इसे भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखें।
4. अब भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें और नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें। पूजन के बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें।
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
5. पुरुष अनंत सूत्र को दांये हाथ में और महिलाएं बांये हाथ में बांधे। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और सपरिवार प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
अनंत चतुर्दशी का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई। यह भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी। इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे। इसलिए अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है। भारत के कई राज्यों में इस व्रत का प्रचलन है। इस दिन भगवान विष्णु की लोक कथाएं सुनी जाती है।
अनंत चतुर्दशी की कथा
महाभारत की कथा के अनुसार कौरवों ने छल से जुए में पांडवों को हरा दिया था। इसके बाद पांडवों को अपना राजपाट त्याग कर वनवास जाना पड़ा। इस दौरान पांडवों ने बहुत कष्ट उठाए। एक दिन भगवान श्री कृष्ण पांडवों से मिलने वन पधारे। भगवान श्री कृष्ण को देखकर युधिष्ठिर ने कहा कि, हे मधुसूदन हमें इस पीड़ा से निकलने का और दोबारा राजपाट प्राप्त करने का उपाय बताएं। युधिष्ठिर की बात सुनकर भगवान ने कहा आप सभी भाई पत्नी समेत भाद्र शुक्ल चतुर्दशी का व्रत रखें और अनंत भगवान की पूजा करें।
इस पर युधिष्ठिर ने पूछा कि, अनंत भगवान कौन हैं? इनके बारे में हमें बताएं। इसके उत्तर में श्री कृष्ण ने कहा कि यह भगवान विष्णु के ही रूप हैं। चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं। अनंत भगवान ने ही वामन अवतार में दो पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया था। इनके ना तो आदि का पता है न अंत का इसलिए भी यह अनंत कहलाते हैं अत: इनके पूजन से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे। इसके बाद युधिष्ठिर ने परिवार सहित यह व्रत किया और पुन: उन्हें हस्तिनापुर का राज-पाट मिला।
एस्ट्रोसेज की ओर से भी पाठकों को अनंत चतुर्दशी की शुभकामनाएं! हम आशा करते हैं कि भगवान विष्णु के आशीर्वाद से आपके जीवन में सुख और समृद्धि आए।
अॅस्ट्रोसेज मोबाइल वरती सर्व मोबाईल ऍप
अॅस्ट्रोसेज टीव्ही सदस्यता घ्या
- Chaturgrahi Yoga 2025: Strong Monetary Gains & Success For 3 Lucky Zodiacs!
- Mercury Direct In Pisces: The Time Of Great Abundance & Blessings
- Mars Transit 2025: After Long 18-Months, Change Of Fortunes For 3 Zodiac Signs!
- Weekly Horoscope For The Week Of April 7th To 13th, 2025!
- Tarot Weekly Horoscope From 06 April To 12 April, 2025
- Chaitra Navratri 2025: Maha Navami & Kanya Pujan!
- Numerology Weekly Horoscope From 06 April To 12 April, 2025
- Chaitra Navratri 2025 Ashtami: Kanya Pujan Vidhi & More!
- Mercury Direct In Pisces: Mercury Flips Luck 180 Degrees
- Chaitra Navratri 2025 Day 7: Blessings From Goddess Kalaratri!
- मीन राशि में मार्गी होकर बुध, किन राशियों की बढ़ाएंगे मुसीबतें और किन्हें देंगे सफलता का आशीर्वाद? जानें
- इस सप्ताह मिलेगा राम भक्त हनुमान का आशीर्वाद, सोने की तरह चमकेगी किस्मत!
- टैरो साप्ताहिक राशिफल : 06 अप्रैल से 12 अप्रैल, 2025
- चैत्र नवरात्रि 2025: महानवमी पर कन्या पूजन में जरूर करें इन नियमों एवं सावधानियों का पालन!!
- साप्ताहिक अंक फल (06 अप्रैल से 12 अप्रैल, 2025): कैसा रहेगा यह सप्ताह आपके लिए?
- महाअष्टमी 2025 पर ज़रूर करें इन नियमों का पालन, वर्षभर बनी रहेगी माँ महागौरी की कृपा!
- बुध मीन राशि में मार्गी, इन पांच राशियों की जिंदगी में आ सकता है तूफान!
- दुष्टों का संहार करने वाला है माँ कालरात्रि का स्वरूप, भय से मुक्ति के लिए लगाएं इस चीज़ का भोग !
- दुखों, कष्टों एवं विवाह में आ रही बाधाओं के अंत के लिए षष्ठी तिथि पर जरूर करें कात्यायनी पूजन!
- मंगल का कर्क राशि में गोचर: किन राशियों के लिए बन सकता है मुसीबत; जानें बचने के उपाय!
- [एप्रिल 8, 2025] कामदा एकादशी
- [एप्रिल 10, 2025] प्रदोष व्रत (शुक्ल)
- [एप्रिल 12, 2025] हनुमान जयंती
- [एप्रिल 12, 2025] चैत्र पौर्णिमा व्रत
- [एप्रिल 14, 2025] बैसाखी
- [एप्रिल 14, 2025] मेष संक्रांत
- [एप्रिल 14, 2025] आंबेडकर जयंती
- [एप्रिल 16, 2025] संकष्टी चतुर्थी
- [एप्रिल 24, 2025] वारुथिनी एकादशी
- [एप्रिल 25, 2025] प्रदोष व्रत (कृष्ण)
- [एप्रिल 26, 2025] मासिक शिवरात्री
- [एप्रिल 27, 2025] वैशाख अमावास्या
- [एप्रिल 30, 2025] अक्षय्य तृतीया
- [मे 8, 2025] मोहिनी एकादशी
- [मे 9, 2025] प्रदोष व्रत (शुक्ल)