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2044 अमावस्या तारीख

नवीन चंद्र दिनदर्शिका 2044 for New Delhi, India

तारीख उत्सव
शनिवार, 30 जानेवारी माघ अमावास्या
रविवार, 28 फेब्रुवारी फाल्गुन अमावास्या
मंगळवार, 29 मार्च चैत्र अमावास्या
बुधवार, 27 एप्रिल वैशाख अमावास्या
शुक्रवार, 27 मे ज्येष्ठ अमावास्या
शनिवार, 25 जून आषाढी अमावास्या
रविवार, 24 जुलै श्रावण अमावास्या
मंगळवार, 23 ऑगस्ट भाद्रपद अमावास्या
बुधवार, 21 सप्टेंबर अश्विन अमावास्या
गुरुवार, 20 ऑक्टोबर कार्तिक अमावास्या
शनिवार, 19 नोव्हेंबर मार्गशीर्ष अमावास्या
सोमवार, 19 डिसेंबर पौष अमावास्या

हिन्दू कैलेंडर से अनुसार वह तिथि जब चन्द्रमा गायब हो जाता है उसे अमावस्या के नाम से जाना जाता है। कई लोग अमावस्या को अमावस भी कहते हैं। अमावस्या वाली रात को चांद लुप्त हो जाता है जिसकी वजह से चारों ओर घना अंधेरा छाया रहता है। यह पखवाड़ा कृष्ण पक्ष कहलाता है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन पूजा-पाठ करने का खास महत्व होता है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार महीने के 30 दिनों को चंद्र कला के अनुसार 15-15 दिनों के दो पक्षों में विभाजित किया जाता है। जिस भाग में चन्द्रमा बढ़ते रहता है उसे शुक्ल पक्ष कहते हैं और जिस भाग में चन्द्रमा घटते-घटते पूरी तरह लुप्त हो जाए वह कृष्ण पक्ष कहलाता है। शुक्ल पक्ष में चांद बढ़ते-बढ़ते अपने पूर्ण रूप में आ जाता है मतलब शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को हम पूर्णिमा कहते हैं। इसके विपरीत कृष्ण पक्ष में चांद धीरे-धीरे घटने लगता है और एक दिन पूरी तरह लुप्त हो जाता है उस अंतिम दिन को हम अमावस्या कहते हैं।

दिन के अनुसार पड़ने वाली अमावस्या के अलग-अलग नाम होते हैं। जैसे सोमवार को पड़ने वाले अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं जो कि बहुत फलदायक होता है। उसी तरह शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं जो कि किसी व्यक्ति के लिए बहुत भाग्यशाली रहता है। पितृदेव को अमावस्या का स्वामी माना जाता है इसीलिए इस दिन पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म या पूजा -पाठ करना अनुकूल माना जाता है। बहुत से लोग अपने पूर्वजों के नाम से हवन करते है और प्रसाद आदि चढ़ाते हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो अमावस्या को पृथ्वी के चक्र में होने वाली एक सामान्य घटना माना जाता है. लेकिन अलग-अलग जगह के लोगों की अपनी मान्यताओं के अनुसार इसे शुभ और अशुभ रूप में देखा जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार माघ के महीने में आने वाली मौनी अमावस्या को बहुत ही शुभ माना जाता है।

2044 में अमावस्या कब है?

हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में 12 अमावस्याएँ होती हैं। जो लोग इस तिथि में विश्वास रखते हैं उनको इस दिन का बहुत इंतज़ार रहता है वे यह जानने में इच्छुक रहते हैं कि अमावस्या कब है? क्यूंकि इस दिन के लिए उन लोगों को कई सारी तैयारियां करनी होती हैं किन्तु कई लोगों को यह ज्ञात नहीं होता और वह इंटरनेट पर – अमावस्या कब है? अमावस्या कब की है? – आदि लिखकर सही तिथि की जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं। इसीलिए यहाँ हम आपको वर्ष 2044 में आने वाली सभी अमावस्या की तिथि और दिन बता रहे है।

अमावस्या के दिन किए जाने वाले उपाय

●  अमावस्या के दिन आटे की छोटी-छोटी गोलियां बना लें और किसी तालाब में मछलियों को खिलाएं। ऐसा करने से आपको पुण्य मिलेगा और धन लाभ होगा। यदि आप यह काम घर के बच्चे से करवाते हैं तो आपके लिए यह और भी फलदायक सिद्ध होगा।
●  अगर संभव हो तो अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में जा कर स्नान करें या फिर अपने नहाने के पानी में गंगा जल मिलाएं।
●  अमावस्या के दिन सुबह समय पर उठ जाएं और स्नान आदि करने के बाद हनुमान जी का पाठ करें और उन्हें लड्डू का भोग लगाएं। यदि आप पाठ नहीं कर पा रहे तो हनुमान बीज मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। आप पूजा करते समय हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दिया जलाएं।
●  घर में पूजा करने के अलावा आप मंदिर जाएं और अन्न का दान करें। अन्न दान को हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा पुण्य माना गया है और यदि इस कार्य को अमावस्या के दिन किया जाए तो यह और भी शुभ होता है।
●  इस दिन शनि देव को तेल का दान करें। साथ में आप काली उड़द और लोहा भी दान कर सकते है।

अमावस्या का महत्व

ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक दृष्टिकोण से अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण होती है। पुराणों के अनुसार इस दिन का पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष महत्व होता है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यह दिन तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए बहुत पुण्य और फलदायी होता है। दीपावली जो कि हमारे देश का प्रसिद्ध त्यौहार है उसे भी अमावस्या के दिन ही मनाया जाता है। अमावस्या की तिथि को ही सूर्य पर ग्रहण लगता है। यह तिथि कालसर्प दोष से पीड़ित जातक की मुक्ति के उपाय के लिए भी असरदार मानी जाती है।

हिन्दू मान्यताओं में बहुत महत्व रखने वाला यह दिन शुभ व अशुभ हो सकता है।अमावस्या से शुरू होने वाले पक्ष को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ के महीने (जनवरी-फरवरी) में आने वाली अमावस्या जिस हम मौनी अमावस्या के नाम से जानते हैं जो कि वह बेहद शुभ होता है।

आमतौर पर देखा जाए तो अमावस्या को किसी भी अच्छे कार्य को करने के लिए शुभ नहीं माना जाता है लेकिन वहीं अगर हम आध्यात्मिक तौर पर देखें तो अमावस्या का खास महत्व होता है। पुराणों में ऐसा कहा गया है कि इस दिन अपने पूर्वजों को याद कर पूजा करने और गरीबों को दान देने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। कई श्रद्धालु अमावस्या के दिन पवित्र जल से स्नान कर उपवास भी रखते है।

वैसे तो सभी अमावस्या को एक समान माना जाता है लेकिन सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या जिसे हम सोमवती अमावस्या कहते हैं वो अन्य अमावस्या की तुलना में इस विशेष महत्व रखता है।

एस्ट्रोसेज पर आपको अमावस्या क्या है, मानव जीवन में उसका महत्व, अमावस्या कब है जैसी सभी जानकारी विस्तार से दी गयी है। हमें आशा है कि ये सूचनाएँ आपके लिए उपयोगी सिद्ध होंगी।

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