जगन्नाथ रथ यात्रा 2018 की तारीख व मुहूर्त
2018 में जगन्नाथ रथ यात्रा कब है?
14
जुलाई, 2018
(शनिवार)

जगन्नाथ रथ यात्रा New Delhi, India के लिए
जुलाई 14, 2018 को 04:34:14 से द्वितीया आरम्भ
जुलाई 15, 2018 को 00:56:51 पर द्वितीया समाप्त
आइए जानते हैं कि 2018 में जगन्नाथ रथ यात्रा कब है व जगन्नाथ रथ यात्रा 2018 की तारीख व मुहूर्त। भगवान जगन्नाथ के स्मरण में निकाली जाने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा का हिन्दू धर्म में बड़ा ही पावन महत्व है। पुरी (उड़ीसा) में इस यात्रा का विशाल आयोजन हर वर्ष किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, पुरी यात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। कहते हैं कि इस यात्रा के माध्यम से भगवान जगन्नाथ साल में एक बार प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं। जगन्नाथ रथ यात्रा को केवल भारत में ही नहीं, दुनियाभर में एक प्रसिद्ध त्यौहार के रूप में जाना जाता है। विश्वभर के लाखों श्रद्धालु इस रथ यात्रा के साक्षी बनते हैं। रथ यात्रा से एक दिन पहले श्रद्धालुओं के द्वारा गुंडीचा मंदिर को धुला जाता है। इस परंपरा को गुंडीचा मार्जन कहा जाता है।
जगन्नाथ से यहाँ आशय ‘जगत के नाथ’ यानी भगवान विष्णु से है। उड़ीसा राज्य के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है। हिन्दू मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में एकबार जगन्नाथ मंदिर के दर्शन के लिए अवश्य जाना चाहिए। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी शामिल होते हैं। रथ यात्रा के दौरान पूरी श्रद्धा और विधि विधान के साथ तीनों की आराधना की जाती है और तीनों के भव्य एवं विशाल रथों को पुरी की सड़कों में निकाला जाता है। बलभद्र के रथ को ‘तालध्वज’ कहा जाता है, जो यात्रा में सबसे आगे चलता है और सुभद्रा के रथ को ‘दर्पदलन’ या ‘पद्म रथ’ कहा जाता है जो कि मध्य में चलता है। जबकि भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘नंदी घोष’ या ‘गरुड़ ध्वज’ कहते हैं, जो सबसे अंत में चलता है। हर साल यह पर्व लाखों श्रद्धालुओं, शैलानियों एवं जनमानस को अपनी ओर आकृषित करता है।
पौराणिक कथा
वैसे तो जगन्नाथ रथ यात्रा के संदर्भ में कई धार्मिक-पौराणिक मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं जिनमें से एक कथा का वर्णन कुछ इस प्रकार है - एकबार गोपियों ने माता रोहिणी से कान्हा की रास लीला के बारे में जानने का आग्रह किया। उस समय सुभद्रा भी वहाँ उपस्थित थीं। तब माँ रोहिणी ने सुभद्रा के सामने भगवान कृष्ण की गोपियों के साथ रास लीला का बखान करना उचित नहीं समझा, इसलिए उन्होंने सुभद्रा को बाहर भेज दिया और उनसे कहा कि अंदर कोई न आए इस बात का ध्यान रखना। इसी दौरान कृष्ण जी और बलराम सुभद्रा के पास पधार गए और उसके दाएँ-बाएँ खड़े होकर माँ रोहिणी की बातें सुनने लगे। इस बीच देव ऋषि नारद वहाँ उपस्थित हुए। उन्होंने तीनों भाई-बहन को एक साथ इस रूप में देख लिया। तब नारद जी ने तीनों से उनके उसी रूप में उन्हें दैवीय दर्शन देने का आग्रह किया। फिर तीनों ने नारद की इस मुराद को पूरा किया। अतः जगन्नाथ पुरी के मंदिर में इन तीनों (बलभद्र, सुभद्रा एवं कृष्ण जी) के इसी रूप में दर्शन होते हैं।
रथ यात्रा के दौरान मनायी जाने वाली परंपराएँ
पहांडी: पहांडी एक धार्मिक परंपरा है जिसमें भक्तों के द्वारा बलभद्र, सुभद्रा एवं भगवान श्रीकृष्ण को जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक की रथ यात्रा कराई जाती है। कहा जाता जाता है कि गुंडिचा भगवान श्रीकृष्ण की सच्ची भक्त थीं, और उनकी इसी भक्ति का सम्मान करते हुए ये इन तीनों उनसे हर वर्ष मिलने जाते हैं।
छेरा पहरा: रथ यात्रा के पहले दिन छेरा पहरा की रस्म निभाई जाती है, जिसके अंतर्गत पुरी के गजपति महाराज के द्वारा यात्रा मार्ग एवं रथों को सोने की झाड़ू स्वच्छ किया जाता है। दरअसल, प्रभु के सामने हर व्यक्ति समान है। इसलिए एक राजा साफ़-सफ़ाई वाले का भी कार्य करता है। यह रस्म यात्रा के दौरान दो बार होती है। एकबार जब यात्रा को गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है तब और दूसरी बार जब यात्रा को वापस जगन्नाथ मंदिर में लाया जाता है तब। जब जगन्नाथ यात्रा गुंडिचा मंदिर में पहुँचती है तब भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा एवं बलभद्र जी को विधिपूर्वक स्नान कराया जाता है और उन्हें पवित्र वस्त्र पहनाएँ जाते हैं। यात्रा के पाँचवें दिन हेरा पंचमी का महत्व है। इस दिन माँ लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को खोजने आती हैं, जो अपना मंदिर छोड़कर यात्रा में निकल गए हैं।
यात्रा का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व
इस यात्रा का धार्मिक एवं सांस्कृतिक दोनों महत्व है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो पुरी यात्रा भगवान जगन्नाथ को समर्पित है जो कि भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। हिन्दू धर्म की आस्था का मुख्य केन्द्र होने के कारण इस यात्रा का महत्व और भी बढ़ जाता है। कहते हैं कि जो कोई भक्त सच्चे मन से और पूरी श्रद्धा के साथ इस यात्रा में शामिल होते हैं तो उन्हें मरणोपरान्त मोक्ष प्राप्त होता है। वे इस जीवन-मरण के चक्र से बाहर निकल जाते हैं। इस यात्रा में शामिल होने के लिए दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। देश-विदेश के शैलानियों के लिए भी यह यात्रा आकृषण का केन्द्र मानी जाती है। इस यात्रा को पुरी कार फ़ेस्टिवल के नाम से भी जाना जाता है। ये सब बातें इस यात्रा के सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती हैं।
एस्ट्रोसेज की ओर जगन्नाथ रथ यात्रा की आपको शुभकामनाएँ। हम आशा करते हैं कि यह यात्रा आपके जीवन में सुख-समृद्धि लेकर आए!
एस्ट्रोसेज मोबाइल पर सभी मोबाइल ऍप्स
एस्ट्रोसेज टीवी सब्सक्राइब
- The Future Speaks: Meet World’s First Talking AI Astrologer!
- Kartik Month 2025: List Of Major Fasts And Festivals This Month
- Sharad Purnima 2025: Check Out Its Date, Significance, & More!
- Weekly Horoscope October 6 to 12: Fasts, Festivals & Horoscope!
- Tarot Weekly Horoscope From 05th-11th Oct 2025
- Numerology Weekly Horoscope: 5 October To 11 October, 2025
- Venus Transit In Virgo: Career, Finance & Creativity
- Papankusha Ekadashi 2025: Liberation From Torments Of Yamlok
- Mercury Transit In Libra: Golden Period For These Zodiacs!
- Mercury Rise In Virgo: Check Out Its Date, Impact, & More!
- Breaking News: ‘AI Astrologer on call’ feature launch – ज्योतिष में नया इनोवेशन
- कार्तिक मास 2025: करवा चौथ से कार्तिक पूर्णिमा तक के व्रत और त्योहारों की लिस्ट!
- शरद पूर्णिमा 2025: चंद्रमा की अमृत वर्षा से कैसे मिलता है सौभाग्य और स्वास्थ्य?
- इस सप्ताह रखा जाएगा पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत, नोट कर लें तिथि
- टैरो साप्ताहिक राशिफल 05 से 11 अक्टूबर, 2025: क्या होगा भविष्य?
- अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 05 अक्टूबर से 11 अक्टूबर, 2025
- शुक्र का कन्या राशि में गोचर: जानें, देश-दुनिया और राशियों पर इसका प्रभाव
- पापांकुशा एकादशी 2025: यमलोक की यातनाओं से मिलेगी मुक्ति, जानें खास नियम
- बुध का तुला राशि में गोचर: इन राशियों का शुरू होगा गोल्डन टाइम!
- बुध का कन्या राशि में उदय: इन राशियों को कर देंगे मालामाल!
- [अक्टूबर 10, 2025] संकष्टी चतुर्थी
- [अक्टूबर 10, 2025] करवा चौथ
- [अक्टूबर 17, 2025] रमा एकादशी
- [अक्टूबर 17, 2025] तुला संक्रांति
- [अक्टूबर 18, 2025] धनतेरस
- [अक्टूबर 18, 2025] प्रदोष व्रत (कृष्ण)
- [अक्टूबर 19, 2025] मासिक शिवरात्रि
- [अक्टूबर 20, 2025] नरक चतुर्दशी
- [अक्टूबर 21, 2025] दिवाली
- [अक्टूबर 21, 2025] कार्तिक अमावस्या
- [अक्टूबर 22, 2025] गोवर्धन पूजा
- [अक्टूबर 23, 2025] भाई दूज
- [अक्टूबर 28, 2025] छठ पूजा
- [नवंबर 2, 2025] देवुत्थान एकादशी
- [नवंबर 3, 2025] प्रदोष व्रत (शुक्ल)