एस्ट्रोसेज के आज का व्रत (Aaj Ka Vrat) पेज के माध्यम से हम आपको इसी बात से अवगत कराएंगे की कथित दिन पर कौन सा व्रत किया जा रहा है और इसका महत्व क्या होता है। आइए जानते हैं हिन्दू पंचांग के अनुसार भारत में आज कौन सा व्रत किया जा रहा है और उस व्रत का महात्मय क्या है।
भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहां तमाम संस्कृतियाँ, तरह तमाम धर्मों, में विश्वास रखने वाले लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। जायज सी बात है जहां तमाम संस्कृतियों और अलग-अलग धर्म के लोग हों वहां के व्रत और त्योहारों की सूची भी काफी बड़ी होने वाली है।
विशेष तौर पर हिंदू धर्म की बात करें तो इसमें व्रत और उपवास का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म के अनुसार हर एक माह की अलग-अलग तिथियों पर अलग-अलग व्रत और त्योहार किए जाते हैं। यह व्रत अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित होते हैं। इनमें से कुछ व्रत ऐसे होते हैं जो प्रत्येक माह में किए जाते हैं जैसे एकादशी व्रत, पूर्णिमा व्रत, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि व्रत, अमावस्या व्रत, संकष्टी चतुर्थी व्रत इत्यादि। इन व्रतों का एकमात्र उद्देश्य हमारे जीवन में देवी-देवताओं का आशीर्वाद दिलाना और हमारे जीवन को सार्थक और सफल बनाना होता है। ऐसे में हमारा आज का व्रत (Aaj Ka Vrat) के बारे में जानना बेहद आवश्यक हो जाता है, लेकिन कई बार अपने व्यस्त जीवन के चलते हम इस बारे में भूल जाते हैं। हालांकि अब परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि ऐस्ट्रोसेज के इस पेज के माध्यम से हम आपको हर रोज व्रत ओर उपवास से जुड़ी जानकारी प्रदान करते रहेंगे।
व्रत ओर उपवास की सटीक जानकारी के लिए हिन्दू पंचांग के अनुसार तिथि और मुहूर्त की गणना की जाती है। सनातन धर्म के तमाम पर्व, त्यौहार, उत्सव और कार्य का शुभारंभ पंचांग के 5 अंग; वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण की गणना के आधार पर तय किया जाता है। ऐसे में किसी दिन व्रत या उपवास करते समय आपसे कोई चूक न हो जाए इसके लिए ऐस्ट्रोसेज पंचांग के माध्यम से हम आपको हर एक दिन पर किए जाने वाले व्रत की संपूर्ण जानकारी यहाँ प्रदान करते हैं।
व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए तो किया ही जाता है लेकिन इस दौरान कुछ विशेष नियमों का भी पालन करना बेहद अनिवार्य होता है। सनातन धर्म के अनुसार जब भी व्रत किया जाता है तो उसे सिद्ध करने के लिए हमें दान पुण्य आदि अवश्य करना चाहिए। व्रत के बाद अगले दिन या नियम के अनुसार आप अपनी यथाशक्ति के हिसाब से किसी ज़रूरतमंद को या किसी योग्य ब्राह्मण को दान पुण्य अवश्य करें। कहते हैं ऐसा करने से व्रत के शुभ प्रभाव को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा अलग-अलग व्रत और उपवास के अलग-अलग नियम भी होते हैं। जैसे किसी में नमक का सेवन वर्जित होता है तो किसी में फलाहार का नियम बताया गया है। जातकों को किसी दिन पर आए व्रत से जुड़े नियम और महत्व की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के बाद ही कदम आगे बढ़ाने की सलाह दी जाती है।
महीने की अलग-अलग तिथियों पर किए जाने वाले अलग-अलग व्रत अलग-अलग देवी देवताओं से संबंधित होते हैं। जैसे एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और तमाम मनोकामनाओं की सिद्धि और सफलता के लिए किया जाता है। पूर्णिमा व्रत दान, पुण्य, जप-तप के लिए बेहद फलदाई माना गया है। प्रदोष व्रत भगवान शिव और माँ पार्वती को समर्पित एक बेहद ही शुभ व्रत माना गया है और मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के अंदर साहस, धैर्य और पराक्रम की वृद्धि होती है। इसके अलावा मासिक शिवरात्रि का व्रत भी देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। जहां महाशिवरात्रि साल में एक बार मनाई जाती है वहीं मासिक शिवरात्रि प्रत्येक माह में किया जाने वाला एक बेहद ही पावन व्रत है। अमावस्या व्रत पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए बेहद ही उत्तम माना गया है। इसके अलावा किसी व्यक्ति की कुंडली में पित्रदोष हो तो उन्हें भी अमावस्या का व्रत करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा संकष्टि चतुर्थी का व्रत हिन्दू धर्म में प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को समर्पित एक बेहद फलदाई व्रत माना गया है। इस व्रत को करने से बुद्धि, बल और विवेक में वृद्धि होती है।
इसी आशा और उम्मीद के साथ कि आज का व्रत इस पेज के माध्यम से आपको जानकारी प्रदान करने कि हमारी यह पहल आपके लिए सहायक साबित हुई होगी हम आगे भी आपके लिए ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आते रहेंगे।