प्रविष्टे/गते (Pravishte/Gate) हिंदू पंचांग का एक अभिन्न अंग होता है लेकिन बहुत से लोगों को इस बारे में सही जानकारी नहीं होती है कि, आखिर हिंदू पंचांग में इसका महत्व क्या होता है और आखिर क्यों इसकी गणना को इतना महत्वपूर्ण माना गया है। एस्ट्रोसेज के इस विशेष पेज पर हम आपको आज के प्रविष्टे/गते से जुड़ी हर छोटी-बड़ी और महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
उदाहरण के तौर पर बताएं तो मान लीजिए किसी महीने की 14 तारीख को सूर्य का गोचर होता है। इसके बाद अगर हम 28 तारीख को प्रविष्टे या गते की गणना करेंगे तो 28 तारीख का यह 15 होगा। यहां यह भी जानना जरूरी है कि सूर्य एक राशि में तकरीबन 30 दिनों की अवधि के लिए रहता है और 1 दिन में तकरीबन 1 डिग्री भ्रमण करता है। सूर्य की यही गति गते दर्शाती है।
हिंदू पंचांग कई छोटी बड़ी और महत्वपूर्ण कड़ियों को जोड़कर तैयार किया जाता है। हिंदू पंचांग में एक ऐसा ही महत्वपूर्ण शब्द होता है प्रविष्टे/गते। दरअसल इसका का अर्थ होता है, 'सूर्य जब एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश कर जाता है तो वह मौजूदा राशि में कितने दिन गुजार चुका है इसे ही प्रविष्टे-गते कहते हैं।'
अब सवाल उठता है कि, आखिर प्रविष्टे की गणना इतनी महत्वपूर्ण क्यों मानी जाती है? दरअसल हिंदू पंचांग का मुख्य या यूं कहिए अहम भाग सूर्य और चंद्र होते हैं। ऐसे में प्रविष्टे अथवा गते से हमें पता चलता है कि सूर्य एक राशि में कितने दिन व्यतीत कर चुका है और अब अगली राशि में कब प्रवेश करेगा। अर्थात सूर्य संक्रांति के बारे में जानने के लिए यह एक बेहद ही महत्वपूर्ण जरिया होता है।
सूर्य के आखिरी गोचर से आज के दिन की गणना के बाद आज के गते की गणना की जाती है।
नहीं। शुभ मुहूर्त की जानकारी के लिए इसकी ज़रूरत नहीं पड़ती है।
इसकी गणना से सूर्य संक्रांति के बारे में जाना जा सकता है, सूर्य एक राशि में तकरीबन कितना वक़्त बिता चुका है यह जाना जा सकता है।