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प्रॉपर्टी खरीद 2037 दिनांक और मुहूर्त

प्रॉपर्टी खरीद 2037 दिनांक New Delhi, India के लिए

दिनांक आरंभ काल समाप्ति काल
शुक्रवार, 02 जनवरी 11:55:35 31:14:11
सोमवार, 05 जनवरी 19:48:40 31:14:47
मंगलवार, 06 जनवरी 07:14:57 24:39:02
रविवार, 11 जनवरी 07:15:19 31:15:20
गुरुवार, 15 जनवरी 13:12:03 28:03:30
बुधवार, 21 जनवरी 07:14:04 18:45:46
गुरुवार, 22 जनवरी 21:33:40 30:08:02
मंगलवार, 27 जनवरी 26:21:22 31:12:02
शनिवार, 31 जनवरी 17:59:25 31:10:11
रविवार, 01 फरवरी 07:09:40 15:56:17
मंगलवार, 10 फरवरी 07:03:55 25:12:50
गुरुवार, 19 फरवरी 20:24:09 30:26:00
गुरुवार, 26 फरवरी 09:36:37 19:34:04
रविवार, 01 मार्च 09:47:33 30:46:55
सोमवार, 02 मार्च 06:45:52 20:32:59
शुक्रवार, 06 मार्च 11:29:06 30:41:38
शनिवार, 07 मार्च 06:40:32 13:15:41
मंगलवार, 10 मार्च 14:30:01 30:37:13
बुधवार, 11 मार्च 06:36:06 16:00:52
सोमवार, 16 मार्च 06:30:28 30:30:28
गुरुवार, 26 मार्च 10:04:07 16:37:03
शुक्रवार, 27 मार्च 15:01:04 30:17:42
शनिवार, 04 अप्रैल 06:08:28 19:39:43
रविवार, 05 अप्रैल 19:55:15 27:32:09
मंगलवार, 14 अप्रैल 20:04:26 29:57:24
बुधवार, 15 अप्रैल 05:56:20 18:25:08
सोमवार, 20 अप्रैल 05:51:09 23:36:56
शुक्रवार, 24 अप्रैल 17:45:13 29:47:12
शनिवार, 25 अप्रैल 05:46:15 29:46:15
रविवार, 26 अप्रैल 05:45:19 12:29:34
गुरुवार, 30 अप्रैल 08:01:35 21:57:00
रविवार, 03 मई 18:12:01 29:39:10
सोमवार, 04 मई 05:38:21 29:38:21
शनिवार, 09 मई 17:57:55 29:34:33
रविवार, 10 मई 05:33:52 20:54:39
रविवार, 14 जून 05:22:39 12:45:18
बुधवार, 17 जून 15:19:17 29:22:57
गुरुवार, 18 जून 05:23:06 29:23:06
शुक्रवार, 19 जून 05:23:14 10:43:02
शनिवार, 27 जून 05:25:09 29:25:09
रविवार, 28 जून 05:25:28 21:12:36
शुक्रवार, 03 जुलाई 09:46:09 30:06:04
रविवार, 12 जुलाई 20:44:55 29:31:17
सोमवार, 13 जुलाई 05:31:46 19:09:13
गुरुवार, 16 जुलाई 20:49:10 29:33:17
शुक्रवार, 17 जुलाई 05:33:49 10:58:55
मंगलवार, 21 जुलाई 09:33:05 29:35:57
बुधवार, 22 जुलाई 05:36:30 28:55:24
शनिवार, 01 अगस्त 23:07:56 29:42:06
रविवार, 02 अगस्त 05:42:40 22:42:39
शुक्रवार, 07 अगस्त 08:04:09 25:53:33
मंगलवार, 11 अगस्त 05:47:43 29:47:42
बुधवार, 12 अगस्त 05:48:15 12:46:40
गुरुवार, 20 अगस्त 10:56:18 29:52:35
शुक्रवार, 21 अगस्त 05:53:07 17:58:27
शनिवार, 05 सितंबर 16:38:42 30:00:47
रविवार, 06 सितंबर 06:01:16 12:44:30
बुधवार, 09 सितंबर 06:02:45 30:02:45
रविवार, 13 सितंबर 18:59:27 30:04:43
सोमवार, 14 सितंबर 06:05:12 30:05:11
शुक्रवार, 18 सितंबर 06:07:10 19:23:26
बुधवार, 23 सितंबर 14:34:15 32:49:39
शुक्रवार, 25 सितंबर 11:46:30 19:26:59
बुधवार, 30 सितंबर 23:17:46 27:49:28
रविवार, 04 अक्टूबर 23:18:59 30:15:18
सोमवार, 05 अक्टूबर 06:15:52 22:17:11
सोमवार, 12 अक्टूबर 19:31:31 25:26:21
मंगलवार, 13 अक्टूबर 24:48:08 30:20:22
बुधवार, 14 अक्टूबर 06:20:57 17:14:18
शुक्रवार, 23 अक्टूबर 08:00:47 20:42:18
बुधवार, 28 अक्टूबर 15:31:39 30:02:14
शुक्रवार, 30 अक्टूबर 06:45:02 15:49:11
सोमवार, 02 नवंबर 12:07:59 30:33:26
मंगलवार, 03 नवंबर 06:34:09 26:09:52
शनिवार, 07 नवंबर 15:53:22 30:37:06
रविवार, 08 नवंबर 06:37:53 14:33:45
बुधवार, 11 नवंबर 09:00:11 30:40:11
सोमवार, 16 नवंबर 18:59:07 30:44:05
मंगलवार, 17 नवंबर 06:44:52 21:59:39
शुक्रवार, 27 नवंबर 06:52:51 12:20:50
शनिवार, 28 नवंबर 12:05:59 26:00:55
रविवार, 06 दिसंबर 07:22:35 22:07:30
सोमवार, 07 दिसंबर 20:54:38 27:26:02
बुधवार, 16 दिसंबर 12:01:44 31:06:31
गुरुवार, 17 दिसंबर 07:07:07 11:38:53
सोमवार, 21 दिसंबर 19:18:20 31:09:21
मंगलवार, 22 दिसंबर 07:09:52 19:10:04
शनिवार, 26 दिसंबर 14:33:21 31:11:43
रविवार, 27 दिसंबर 07:12:07 31:12:06

ऐसी कहावत है कि, जिंदगी जीने के लिए तीन चीज़ें ख़ासा महत्वपूर्ण होती हैं, “रोटी”, “कपड़ा” और “मकान”। ये जिंदगी गुज़ारने के लिए मनुष्य की मौलिक जरूरतें होती हैं। इन प्राथमिक जरूरतों के बिना एक मनुष्य जीवन की शुरुआत कभी नहीं की जी सकती है। भोजन भूख को मिटाकर मनुष्य शरीर को पोषक तत्व प्रदान करता है, कपड़े की आवश्यकता शरीर ढँकने के साथ ही साथ शरीर को सर्द, गर्म से बचाने के लिए होती है। अब बात करें घर या मकान की तो, ये मनुष्य को धूप और बारिश से बचाने के साथ ही सुरक्षा और आश्रय देता है।

हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग नए घर में प्रवेश से पहले शुभ मुहूर्त के अंतर्गत पूजा और हवन करवाने के बाद ही प्रवेश करते हैं। यहाँ तक की नयी संपत्ति की नीव रखने या खरीदने से पहले भी विशेष रूप से शुभ मुहूर्त में पूजा तथा यज्ञ करवाया जाता है। किसी भी शुभ कार्य या आयोजन को करने से पूर्व लोग विशेष रूप से शुभ मुहूर्त और दिन निकलवाते हैं, इसके बाद ही उस कार्य को संपन्न किया जाता है। एक बच्चे के जन्म के बाद नाम रखने के लिए विशेष रूप से (नामकरण मुहूर्त) शुभ मुहूर्त निकलवाने से लेकर उसकी शादी का शुभ मुहूर्त (विवाह मुहूर्त) वैदिक हिन्दू पंचांग से प्राप्त किया जा सकता है। इसी प्रकार से कोई भी संपत्ति खरीदने से पहले संपत्ति खरीदने के मुहूर्त की जानकारी अवश्य ले लेनी चाहिए। इससे संपत्ति खरीदने के शुभ मुहूर्त और अनुकूल समय की जानकारी मिल जाती है। इन शुभ मुहूर्त में घर या संपत्ति खरीदने से व्यक्ति को फलदायी परिणाम मिलते हैं और व्यक्ति को उस संपत्ति का भरपूर आनंद मिल पाता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार संपत्ति क्रय

वैदिक ज्योतिष विभिन्न योग और दशाओं की जानकारी देता है और ग्रहों एवं नक्षत्रों को एक साथ संरेखित करता है। कुंडली का चौथा भाव खासतौर से सही समय पर संपत्ति पर मालिकाना हक़ प्राप्त करने और संपत्ति खरीदने के समय के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कुंडली में “सुख स्थान” के नाम से जान जाने वाला ये भाव विशेष रूप से घर, समृद्धि, भूमि, चल तथा चल संपत्ति और वाहन आदि का कारक होता है। ज्योतिषीय आधारों पर इस घर का विश्लेषण करने से ख़ासतौर से इस बात की जानकारी मिलती है की किस संपत्ति या जमीन को खरीदने में निवेश करना है और कब करना है।

इस श्रेणी को नियंत्रित करने के लिए जो ग्रह जिम्मेदार हैं वो निम्नलिखित हैं :

●  मंगल: मंगल ग्रह को विशेष रूप से नैसर्गिक कारक ग्रह के रूप में जाना जाता है, जो संपत्ति, भूमि और उस स्थान को दर्शाता है जहाँ आप रहते हैं।
●  शुक्र: शुक्र ग्रह को सौंदर्य और विलासिता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए कुंडली में इस ग्रह का स्थान दर्शाता है की आपका घर कितना सुन्दर, आरामदेह और विलासिता पूर्ण होगा।
●  शनि: इस ग्रह को भी निर्माण, भूमि और संपत्ति का कारक माना जाता है।

संपत्ति क्रय हेतु शुभ मुहूर्त का महत्व

जिस तरह से हम किसी नए कार्य की शुरुआत के लिए और शुभ मुहूर्त की गणना करने के लिए किसी ज्योतिषी से सलाह लेते हैं, वैसे ही किसी अचल संपत्ति, ज़मीन, संपत्ति की खरीदारी या निवेश करने से पहले भी ऐसा जरूर करना चाहिए। मुहूर्त का विशेष अर्थ है “शुभ समय”, जो कि किसी भी धार्मिक और भविष्य के लिए किये जाने वाले महत्वपूर्ण कार्यों को करने के लिए उपयुक्त और शुभ समय की जानकारी देता है। शुभ मुहूर्त में किसी भी कार्य को करने से हमेशा उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। इस तरह से, इस दौरान किसी भी संपत्ति या भूमि का अधिकार प्राप्त करना या उसे क्रय करना भविष्य के लिए ख़ासा फलदायी साबित हो सकता है। घर या संपत्ति खरीदने के लिए इस विचार के साथ आगे बढ़ने के लिए इस पृष्ठ पर उल्लिखित मुहूर्त को देखें।

घर या संपत्ति खरीदने से पहले इन ज्योतिषीय संयोजनों का अवश्य ध्यान रखें

किसी भी चल अचल संपत्ति, भूमि या जमीन जायदाद में निवेश करने से पहले, यहाँ निम्नलिखित ग्रहों के संयोजन का पालन जरूर करना चाहिए :

●  जब किसी की कुंडली का मूल्यांकन किया जाता है, तो सही समय की पहचान करने के लिए महादशा को अवश्य देखा जाना चाहिए।
●  दूसरे, चौथे, नवें और ग्यारहवें भाव की महादशा को घर, संपत्ति आदि खरीदने के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है।
●  कुंडली में चंद्रमा, शुक्र और राहु की दशा कम उम्र में घर खरीदने के लिए जिम्मेदार मानी जाती है।
●  इस प्रकार से, कुंडली में बृहस्पति की स्थिति जातक को 30 वर्ष की आयु के अंतर्गत संपत्ति का मालिकाना हक़ दिलाने के लिए जिम्मेदार होती है।
●  कुंडली में बुध की स्थिति जातक को 32 से 36 वर्ष की आयु में गृह सुख प्राप्त करने के लिए अनुकूल होती है।
●  कुंडली में सूर्य और मंगल की स्थिति अधेड़ उम्र में संपत्ति सुख प्रदान करने का कारक मानी जाती है।
●  यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि और केतु की स्थिति एक साथ होती है तो उसे 44 से 52 वर्ष की आयु में घर का सुख प्राप्त होता है।

संपत्ति के चौथे भाव में ग्रहों की स्थिति

संकेत निधि के अनुसार, जब कुंडली के चौथे भाव या संपत्ति भाव में बुध की स्थिति होती है, तो जातक को एक कलात्मक रूप से निर्मित सुन्दर घर की प्राप्ति होती है। दूसरी तरफ यदि कुंडली के इस भाव में चंद्रमा की स्थिति हो तो जातक एक नया घर खरीद सकता है। कुंडली में बृहस्पति की स्थिति घर को मजबूत और टिकाऊ बनाती है, वहीं कुंडली में शनि और केतु की स्थिति घर को कमजोर बनाती है। दूसरी तरफ कुंडली में मंगल की मजबूत स्थिति घर को आग से सुरक्षित रखती है और लाभकारी शुक्र ग्रह के प्रभाव से घर की खूबसूरती में वृद्धि होती है। अंत में, कुंडली में शनि और राहु की उपस्थिति के कारण व्यक्ति को पुराने घर पर अधिपत्य मिलता है।

जातक तत्व संपत्ति के बारे में टिप्पणियों को प्रकट करता है, जो कहता है कि:

●  जब किसी व्यक्ति की कुंडली के चौथे भाव में शुक्र या चंद्रमा उच्च स्थिति में होता है, तो व्यक्ति को बहु-मंजिला इमारत या घर प्राप्त होता है।
●  कुंडली के चौथे भाव में मंगल और केतु की उपस्थिति होने से व्यक्ति को ईंट का घर मिलता है।
●  इसी प्रकार से जब किसी की कुंडली में सूर्य का प्रभाव होता है तो व्यक्ति को लकड़ी का घर और बृहस्पति के प्रभाव से घास का घर नसीब होता है।

कुंडली में योग का मूल्यांकन

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चौथा भाव पैतृक लाभ का विश्लेषण और निर्धारण करने के लिए जिम्मेवार होता है। यहाँ हम कुछ ऐसे ग्रह योगों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके कुंडली में बनने पर, व्यक्ति भूमि या संपत्ति खरीदने के लिए सक्षम होता है।

●  भूमि या संपत्ति खरीदने के लिए किसी भी व्यक्ति की कुंडली का चौथा भाव और मंगल की स्थिति उच्च एवं मजबूत होनी चाहिये।
●  यदि कुंडली में चौथे भाव का स्वामी आरोही ग्रह के साथ चौथे भाव में स्थित हो तो, ऐसे में व्यक्ति भूमि और वाहन खरीदने में सक्षम होता है।
●  यदि कुंडली में चतुर्थ और 10 वें घर के स्वामी ग्रह द्वारा त्रीणि या चतुर्थांश का निर्माण किया जाता है, तो व्यक्ति इत्मीनान से आनंद लेता है और घर के चारों ओर एक चारदीवारी बनाता है।
●  यदि व्यक्ति की कुंडली के चौथे भाव में केवल मंगल की उपस्थिति रहती है तो, व्यक्ति को संपत्ति का सुख तो जरूर मिलता है लेकिन वो संपत्ति हमेशा कानूनी मामलों में संलिप्त रहती है।
●  जब चौथे घर का स्वामी दशा या अंर्तदशा के दौरान मंगल या शनि के साथ संबंध स्थापित करता है, तो व्यक्ति मालिकाना अधिकार हासिल करने के लिए बाध्य होता है।
●  जब बृहस्पति कुंडली में आठवें घर से संबंधित होता है, जो कि उम्र और दीर्घायु का प्रतिनिधित्व करता है, तो व्यक्ति को पैतृक संपत्ति की प्राप्ति होती है।
●  जब चौथे, आठवें और ग्यारहवें घर का एक साथ जुड़ाव होता है, तो किसी की अपनी संपत्ति हासिल करने की संभावना बढ़ जाती है।
●  एक व्यक्ति दूर या विदेशों में एक संपत्ति खरीदने या निवेश करने में सक्षम हो जाता है, जब चौथे भाव का बारहवें घर के साथ जुड़ाव होता है।
●  जब चतुर्थ भाव में मंगल,शुक्र और शनि की स्थिति बनती है, तो व्यक्ति बहुत सारे सौंदर्य से परिपूर्ण घरों को प्राप्त करता है।

हमें उम्मीद है कि प्रॉपर्टी खरीद मुहूर्त पर आधारित यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज आपके उज्जवल भविष्य की कमाना करता है।

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