| तारीख | सुरवातीचा काळ | शेवटचा काळ |
|---|---|---|
| शुक्रवार, 02 जानेवारी | 08:55:10 | 31:14:11 |
| शनिवार, 03 जानेवारी | 07:14:25 | 28:26:25 |
| गुरुवार, 08 जानेवारी | 09:31:21 | 31:15:10 |
| शुक्रवार, 09 जानेवारी | 07:15:15 | 13:59:17 |
| सोमवार, 12 जानेवारी | 07:15:19 | 23:44:10 |
| शुक्रवार, 16 जानेवारी | 12:24:12 | 31:15:02 |
| सोमवार, 26 जानेवारी | 15:53:04 | 23:12:10 |
| मंगळवार, 27 जानेवारी | 26:08:50 | 31:12:02 |
| बुधवार, 28 जानेवारी | 07:11:37 | 20:54:42 |
| शुक्रवार, 06 फेब्रुवारी | 07:06:41 | 17:03:00 |
| शनिवार, 07 फेब्रुवारी | 15:40:43 | 26:10:14 |
| रविवार, 15 फेब्रुवारी | 07:00:01 | 17:33:32 |
| शुक्रवार, 20 फेब्रुवारी | 06:55:41 | 23:34:14 |
| बुधवार, 25 फेब्रुवारी | 10:58:16 | 30:50:55 |
| गुरुवार, 26 फेब्रुवारी | 06:49:56 | 30:49:56 |
| शुक्रवार, 27 फेब्रुवारी | 06:48:57 | 15:18:05 |
| मंगळवार, 02 मार्च | 23:27:39 | 30:44:49 |
| बुधवार, 03 मार्च | 06:43:46 | 20:19:13 |
| शनिवार, 06 मार्च | 16:51:37 | 30:40:32 |
| रविवार, 07 मार्च | 06:39:26 | 20:27:59 |
| गुरुवार, 11 मार्च | 10:08:02 | 30:34:59 |
| शनिवार, 20 मार्च | 17:34:23 | 30:24:41 |
| रविवार, 21 मार्च | 06:23:32 | 12:08:20 |
| सोमवार, 22 मार्च | 15:07:54 | 22:32:11 |
| बुधवार, 31 मार्च | 07:52:43 | 29:33:53 |
| शुक्रवार, 09 एप्रिल | 15:40:50 | 30:01:45 |
| शनिवार, 10 एप्रिल | 06:00:38 | 14:07:29 |
| बुधवार, 14 एप्रिल | 13:32:13 | 29:56:20 |
| गुरुवार, 15 एप्रिल | 05:55:17 | 15:04:52 |
| सोमवार, 19 एप्रिल | 12:29:23 | 29:51:08 |
| मंगळवार, 20 एप्रिल | 05:50:09 | 29:50:09 |
| बुधवार, 21 एप्रिल | 05:49:10 | 16:57:40 |
| सोमवार, 26 एप्रिल | 11:55:53 | 20:18:24 |
| गुरुवार, 29 एप्रिल | 16:42:19 | 29:41:44 |
| शुक्रवार, 30 एप्रिल | 05:40:51 | 29:40:51 |
| बुधवार, 05 मे | 05:36:47 | 25:11:07 |
| शुक्रवार, 14 मे | 05:30:37 | 28:04:20 |
| बुधवार, 19 मे | 06:36:09 | 15:14:41 |
| सोमवार, 24 मे | 09:27:49 | 29:25:45 |
| मंगळवार, 25 मे | 05:25:23 | 19:23:34 |
| गुरुवार, 03 जून | 05:59:17 | 29:23:05 |
| मंगळवार, 08 जून | 06:40:53 | 29:22:35 |
| शनिवार, 12 जून | 14:38:21 | 29:22:36 |
| रविवार, 13 जून | 05:22:39 | 29:22:39 |
| सोमवार, 14 जून | 05:22:44 | 17:07:36 |
| बुधवार, 23 जून | 05:24:18 | 29:24:18 |
| गुरुवार, 24 जून | 05:24:34 | 14:02:23 |
| सोमवार, 28 जून | 13:59:34 | 22:47:13 |
| बुधवार, 07 जुलै | 16:49:16 | 29:29:23 |
| गुरुवार, 08 जुलै | 05:29:50 | 19:07:20 |
| सोमवार, 12 जुलै | 05:31:46 | 30:38:37 |
| शनिवार, 17 जुलै | 15:02:51 | 29:34:20 |
| रविवार, 18 जुलै | 05:34:53 | 29:34:52 |
| सोमवार, 19 जुलै | 05:35:24 | 11:43:28 |
| सोमवार, 26 जुलै | 10:01:16 | 19:40:09 |
| मंगळवार, 27 जुलै | 17:56:55 | 29:39:50 |
| रविवार, 01 ऑगस्ट | 18:49:16 | 27:35:57 |
| शुक्रवार, 06 ऑगस्ट | 05:45:29 | 29:45:29 |
| शनिवार, 07 ऑगस्ट | 05:46:03 | 13:05:14 |
| सोमवार, 16 ऑगस्ट | 23:15:07 | 29:51:00 |
| मंगळवार, 17 ऑगस्ट | 05:51:32 | 21:15:10 |
| मंगळवार, 24 ऑगस्ट | 17:28:40 | 24:54:20 |
| रविवार, 29 ऑगस्ट | 13:57:43 | 26:22:23 |
| मंगळवार, 31 ऑगस्ट | 05:58:47 | 17:05:21 |
| शनिवार, 04 सप्टेंबर | 06:00:47 | 30:00:47 |
| रविवार, 05 सप्टेंबर | 06:01:16 | 18:52:08 |
| शुक्रवार, 10 सप्टेंबर | 06:03:43 | 30:03:43 |
| शनिवार, 11 सप्टेंबर | 06:04:13 | 12:42:29 |
| मंगळवार, 14 सप्टेंबर | 10:20:13 | 30:05:41 |
| शनिवार, 18 सप्टेंबर | 18:57:25 | 30:07:38 |
| रविवार, 19 सप्टेंबर | 06:08:08 | 16:03:00 |
| मंगळवार, 28 सप्टेंबर | 06:12:41 | 13:26:18 |
| बुधवार, 29 सप्टेंबर | 16:11:36 | 30:13:11 |
| शनिवार, 09 ऑक्टोबर | 06:18:37 | 12:34:32 |
| रविवार, 10 ऑक्टोबर | 12:56:32 | 23:08:01 |
| सोमवार, 18 ऑक्टोबर | 06:24:00 | 21:47:56 |
| शुक्रवार, 22 ऑक्टोबर | 17:14:23 | 30:26:32 |
| शनिवार, 23 ऑक्टोबर | 06:27:12 | 17:45:51 |
| गुरुवार, 28 ऑक्टोबर | 06:30:35 | 30:30:35 |
| शुक्रवार, 29 ऑक्टोबर | 06:31:17 | 28:29:23 |
| बुधवार, 03 नोव्हेंबर | 16:51:54 | 30:34:52 |
| गुरुवार, 04 नोव्हेंबर | 06:35:38 | 11:47:37 |
| रविवार, 07 नोव्हेंबर | 10:33:48 | 30:37:53 |
| सोमवार, 08 नोव्हेंबर | 06:38:38 | 17:31:46 |
| शुक्रवार, 12 नोव्हेंबर | 12:24:44 | 30:41:44 |
| शनिवार, 13 नोव्हेंबर | 06:42:30 | 10:43:19 |
| रविवार, 21 नोव्हेंबर | 10:01:05 | 29:37:26 |
| मंगळवार, 23 नोव्हेंबर | 07:44:10 | 12:51:16 |
| गुरुवार, 02 डिसेंबर | 06:57:30 | 25:56:09 |
| शनिवार, 11 डिसेंबर | 15:24:58 | 31:03:58 |
| रविवार, 12 डिसेंबर | 07:04:38 | 14:20:53 |
| गुरुवार, 16 डिसेंबर | 12:09:50 | 31:07:08 |
| शुक्रवार, 17 डिसेंबर | 07:07:42 | 12:26:28 |
| मंगळवार, 21 डिसेंबर | 07:09:52 | 31:09:53 |
| बुधवार, 22 डिसेंबर | 07:10:22 | 31:10:22 |
| मंगळवार, 28 डिसेंबर | 10:25:47 | 20:03:31 |
| शुक्रवार, 31 डिसेंबर | 17:51:21 | 31:13:46 |
असे सांगितले जाते की आयुष्य जगण्यासाठी मानवासाठी महत्वाच्या तीन गोष्टी आहेत, “अन्न”, “वस्त्र” आणि “निवारा”. हे आयुष्य काढण्यासाठी मानवाच्या मूलभूत गरजा आहेत. या प्राथमिक गरजांविना मानवाच्या जीवनाची सुरवात कधीच होऊ शकत नाही. जेवण भूकेला संपवून मानवी शरीराला पोषक तत्व प्रदान करते, कपड्याची आवश्यकता शरीर झाकावण्यासोबतच शरीराला थंडी आणि ऊन यापासून बचाव करण्यासाठी असते. आता आपण घर किंवा निवासस्थान बद्दल बोलूया, हे मानवाला ऊन, पाऊस, थंडी पासून वाचवण्यासोबतच सुरक्षा आणि आश्रय देते.
हिंदू धर्माला मानणारे लोक नवीन घरात प्रवेश करण्याच्या आधी शुभ मुहूर्ताच्या अंतर्गत पूजा आणि हवन केल्यानंतरच प्रवेश करते. तसेच नवीन संपत्तीचा पाया टाकणे किंवा विकत घेण्याआधी विशेष रूपात शुभ मुहुर्तात पुजा तसेच यज्ञ केले जाते. कुठल्याही शुभ कार्याचे आयोजन करण्याच्या पूर्वी लोक विशेष रूपात शुभ मुहूर्त आणि दिवस काढून घेतात, या नंतरच त्या कार्याला संपन्न केले जाते. एका मुलाच्या जन्मानंतर नाव ठेवण्याच्या विशेष रूपात (नामकरण मुहूर्त) शुभ मुहूर्त काढण्यापासून त्याच्या लग्नाचे शुभ मुहूर्त (विवाह मुहूर्त) वैदिक हिंदू पंचांगाने प्राप्त केले जाऊ शकते. याच प्रकारे कुठलीही संपत्ती खरेदी करण्याच्या आधी संपत्ती विकत घेण्याच्या खरेदीचा मुहूर्त या विषयी माहिती घेणे गरजेचे आहे. याने संपत्ती विकत घेण्याचे शुभ मुहूर्त आणि अनुकूल वेळेची माहिती मिळते. या शुभ मुहूर्तामध्ये घर किंवा संपत्ती विकत घेण्याने व्यक्तीला फळदायी परिणाम मिळतात आणि व्यक्तीला त्या संपत्तीचा भरपूर आनंद मिळतो.
वैदिक ज्योतिष विभिन्न योग आणि दशेची माहिती देते आणि ग्रह आणि नक्षत्रांना एक सोबत संरेखित करते. कुंडलीचा चौथा भाव खासकरून योग्य वेळी संपत्तीवर मालकी हक्क प्राप्त करणे आणि मालमत्ता खरेदी करण्याच्या वेळी महत्वपूर्ण भूमिका बजावते. कुंडली मध्ये “सुख स्थान” च्या नावाने जाणले जाणारे हे भाव विशेष रूपात घर, समृद्धी, भूमी ,चल तसेच चल संपत्ती आणि वाहन इत्यादींचे कारक होते. ज्योतिषीय आधारावर या घराचे विश्लेषण करण्याने खास करून या गोष्टीची माहिती मिळते की कुठल्या जमीन किंवा मालमत्तेला विकत घेण्यात गुंतवणूक करायची आहे आणि केव्हा करायची आहे.
● मंगळ: मंगळ ग्रहाला विशेष रूपात नैसर्गिक कारक ग्रहाच्या रूपात जाणले जाते, जे संपत्ती, भूमी आणि त्या स्थानाला दर्शवते जिथे तुम्ही राहतात.
● शुक्र: शुक्र ग्रहाला सौंदर्य आणि विलासितेचे प्रतीक मानले जाते, म्हणून कुंडली मध्ये या ग्रहाचे स्थान दर्शवते की तुमचे घर किती सुंदर, आरामदायी आणि विकसिता पूर्ण असेल.
● शनि: या ग्रहाला देखील निर्माण, भूमी आणि संपत्तीचे कारक मानले जाते.
ज्या प्रकारे आपण कुठल्या नवीन कार्याच्या सुरवातीसाठी आणि शुभ मुहूर्ताची गणना करण्यासाठी कुठल्या ज्योतिषी कडून सल्ला घेतो, तसेच कुठल्या अचल संपत्ती, जमीन, जमिनीची खरेदी किंवा गुंतवणूक करण्याच्या आधी असे जरूर केले पाहिजे. मुहूर्ताचा विशेष अर्थ आहे “शुभ वेळ” जे की कुठल्याही धार्मिक आणि भविष्यासाठी जाणले जाणारे महत्वपूर्ण कार्य करण्यासाठी उपयुक्त आणि शुभ वेळेची माहिती देते. शुभ मुहुर्तात कुठलेही कार्य केल्याने नेहमी उत्तम फळाची प्राप्ती होते. या पद्धतीने, या वेळेत कुठल्याही संपत्तीचे किंवा भूमीचे अधिकार प्राप्त करणे किंवा तिला विकत घेणे भविष्यासाठी खूप फळदायी सिद्ध होऊ शकते. घर किंवा संपत्ती खरेदी करण्यासाठी या विचारांच्या सोबतच पुढे चालण्यासाठी या पृष्ठावर उल्लेखित मुहूर्त पहा.
कुठलीही चल अचल संपत्ती, भूमी किंवा जमीन प्रॉपर्टी मध्ये गुंतवणूक करण्याआधी, येथील निन्मलिखित ग्रहांच्या संयोजनांचे पालन नक्की केले पाहिजे :
● जेव्हा कुणाच्या कुंडलीचे मूल्यांकन केले जाते, तेव्हा योग्य वेळेची माहिती घेण्यासाठी महादशेला अवश्य पाहणे गरजेचे ठरते.
● दुसरे, चौथे, नववे आणि अकराव्या भावाच्या महादशेला घर, संपत्ती इत्यादी विकत घेण्यासाठी विशेष लाभदायक मानले जाते.
● कुंडलीमध्ये चंद्र, शुक्र आणि राहूची दशा कमी वयात घर विकत घेतल्याने जबाबदार मानली जाते.
● या प्रकारे कुंडलीमध्ये बृहस्पतीची स्थिती जातकाला 30 वर्षाच्या आयु अंतर्गत संपत्तीचा मालकीचा हक्क देण्यासाठी जबाबदार असते.
● कुंडलीमध्ये बुध ची स्थिती जातकाला 32 ते 36 वर्षाच्या आयु मध्ये गृह सुख प्राप्त करण्यासाठी अनुकूल असते.
● कुंडलीमध्ये सुर्य आणि मंगळ ची स्थिती वृद्ध काळात संपत्ती सुख प्रदान करण्यात कारक मानली जाते.
● जर कुठल्या व्यक्तीच्या कुंडलीमध्ये शनी आणि केतूची स्थिती एकसोबत असते तर त्याला 44 ते 52 वर्षाच्या वयामध्ये घराचे सुख प्राप्त होते.
संकेत निधीच्या अनुसार, जेव्हा कुंडलीचे चौथे भाव किंवा संपत्ती भावामध्ये बुध ची स्थिती होते, जे जातकाला एक कलात्मक रूपाने निर्मित सुंदर घराची प्राप्ती होते. दुसरीकडे जर कुंडलीच्या या भावात चंद्राची स्थिती असेल तर जातक एक नवीन घर खरेदी करू शकतो. कुंडलीमध्ये बृहस्पतीची स्थिती घराला मजबूत आणि टिकाऊ बनवते, तेच कुंडलीमध्ये शनी आणि केतू ची स्थिती घराला कमजोर बनवते. दुसरीकडे कुंडलीमध्ये मध्ये मंगळाची मजबूत स्थिती घराला आगीपासून सुरक्षित ठेवते आणि लाभकारी शुक्र ग्रहाच्या प्रभावाने घरातील सुंदरतेमध्ये वृद्धी होते. शेवटी, कुंडलीमध्ये शनी आणि राहूच्या उपस्थितीच्या कारणाने व्यक्तीला जुन्या घरावर अधिपत्य मिळते.
● जेव्हा कुठल्या व्यक्तीच्या कुंडलीच्या चौथ्या भावात शुक्र किंवा चंद्र उच्च स्थित मध्ये असतो, तर व्यक्तीला बहू-मजली इमारत किंवा घर प्राप्त होते.
● कुंडलीच्या चौथ्या भावात मंगळ आणि केतूची उपस्थिती असल्याने व्यक्तीला विटेचे घर मिळते.
● कुठल्या प्रकारे जर कुणाच्या कुंडलीमध्ये सुर्याचा प्रभाव असेल तर त्या व्यक्तीला लाकडी घर आणि बृहस्पतीच्या प्रभावाने गवताचे घर नशीब होते.
ज्योतिष शास्त्राच्या नुसार, चौथा भाव पितृक भावाचे विश्लेषण आणि निर्धारण करण्यासाठी जिम्मेदार असतो. इथे आम्ही काही असे ग्रह योगाच्या बाबतीत सांगत आहोत ज्यात कुंडली बनल्यावर, व्यक्ती भूमी किंवा संपत्ती खरेदी करण्यास सक्षम असतो.
● भूमी किंवा मालमत्ता खरेदी करण्यासाठी व्यक्तीच्या कुंडलीचा चौथा भाव आणि मंगळाची स्थिती उच्च आणि मजबूत असली पाहिजे.
● जर कुंडलीमध्ये चौथ्या भावाचा स्वामी आरोही ग्रह सोबत चौथ्या भावात स्थित असेल तर, अश्यात व्यक्ती भूमी आणि वाहन खरेदी करण्यात सक्षम असतो.
● जर कुंडलीमध्ये चतुर्थ आणि दहाव्या घरातील स्वामी ग्रह द्वारे त्रिनी किंवा चतुर्थांश चा निर्माण केला जातो, तो व्यक्ती आरामदायी आनंद घेतो आणि घराच्या चारही बाजूंना एक भिंत बनवतो.
● जर व्यक्तीच्या कुंडलीमध्ये चौथ्या भावात फक्त मंगळाची उपस्थिती राहिली तर, व्यक्तीला संपत्तीचे सुख नक्की मिळते परंतु ती संपत्ती नेहमी कायद्याच्या बाबतीत संलीप्त राहते.
● जेव्हा चौथ्या घरातील स्वामी दशा किंवा अंतर्दशेच्या वेळी मंगळ किंवा शनी सोबत संबंध स्थापित करते, तर व्यक्ती मालकी अधिकार मिळवण्यास बंधनकारक असतो.
● जेव्हा बृहस्पती कुंडलीमध्ये आठव्या घराच्या संबंधित असतो, जो की वय आणि दीर्घायू चे प्रतिनिधित्व करते, तर व्यक्तीला पैतृक संपत्तीची प्राप्ती होते.
● जेव्हा चौथ्या, आठव्या, अकराव्या घराचा एक सोबत जोडणी होते, तेव्हा कुणाची आपली संपत्ती मिळवण्याची शक्यता वाढते.
● एक व्यक्ती लांब किंवा विदेशात एक संपत्ती खरेदी करण्यात किंवा गुंतवणूक करण्यात सक्षम होऊन जातो, जेव्हा चौथा भाव बाराव्या घराच्या सोबत जोडला जातो.
● जेव्हा चतुर्थ भावात मंगळ, शुक्र आणि शनी ची स्थिती बनते, तर व्यक्ती सर्व सौंदर्याने परिपूर्ण असलेल्या घराला प्राप्त करतो.
आम्हाला अपेक्षा आहे की प्रॉपर्टी खरेदी मुहूर्तावर आधारित हा लेख तुम्हाला आवडला असेल. ऍस्ट्रोसेज तुमच्या उज्वल भविष्याची प्रार्थना करतो.