2061 मुंडन मुहूर्त. तारीख

2061 मुंडन मुहूर्त. तारीखNew Delhi, India साठी

तारीख सुरवातीचा काळ शेवटचा काळ
सोमवार, 24 जानेवारी 07:13:10 18:48:30
शुक्रवार, 28 जानेवारी 07:11:37 12:38:28
सोमवार, 31 जानेवारी 17:13:54 28:16:57
बुधवार, 02 फेब्रुवारी 14:18:41 24:04:55
शुक्रवार, 04 फेब्रुवारी 07:07:57 12:11:51
बुधवार, 09 फेब्रुवारी 16:16:06 23:08:15
शुक्रवार, 11 फेब्रुवारी 07:03:11 21:55:20
सोमवार, 14 फेब्रुवारी 09:07:57 30:27:50
गुरुवार, 24 फेब्रुवारी 06:51:55 24:45:13
सोमवार, 28 फेब्रुवारी 16:33:56 21:42:54
बुधवार, 02 मार्च 06:45:52 13:30:52
गुरुवार, 03 मार्च 12:23:59 19:48:07
बुधवार, 09 मार्च 06:38:20 15:08:09
गुरुवार, 10 मार्च 17:20:55 30:00:57
गुरुवार, 17 मार्च 19:54:32 29:28:16
बुधवार, 23 मार्च 12:49:56 30:22:21
गुरुवार, 24 मार्च 06:21:12 10:34:37
बुधवार, 30 मार्च 06:14:13 25:33:37
बुधवार, 06 एप्रिल 06:06:13 30:06:12
गुरुवार, 07 एप्रिल 06:05:04 13:23:11
गुरुवार, 14 एप्रिल 20:40:02 29:57:24
शुक्रवार, 15 एप्रिल 05:56:20 29:56:20
सोमवार, 25 एप्रिल 13:43:18 29:46:15
बुधवार, 04 मे 05:38:21 19:45:19
बुधवार, 11 मे 12:01:14 29:33:11
सोमवार, 23 मे 05:26:32 24:16:42
बुधवार, 08 जून 05:22:39 20:11:01
गुरुवार, 09 जून 20:39:12 29:22:35
शुक्रवार, 10 जून 05:22:34 20:32:39
सोमवार, 13 जून 19:15:44 29:22:36
सोमवार, 20 जून 05:23:25 13:48:43
सोमवार, 27 जून 05:25:09 32:06:16

हिन्दू धर्म में जन्म के बाद हर शिशु के गर्भकाल के बाल उतारने की परंपरा है, इसे ही मुंडन संस्कार कहा जाता है। बालकों का मुण्डन 3, 5 और 7 आदि विषम वर्षों में किया जाता है। वहीं बालिकाओं का चौल कर्म (मुण्डन) संस्कार सम वर्षों में किया जाता है। हालांकि कुल परंपरा के अनुसार बच्चों का मुण्डन 1 वर्ष की आयु में भी किया जाता है।

मुंडन को लेकर हिन्दू धार्मिक मान्यता है कि पूर्व जन्मों के ऋणों से मुक्ति के उद्देश्य से जन्मकालीन केश काटे जाते हैं। वहीं वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार जब बच्चा माँ के पेट में होता है तो उसके सिर के बालों में बहुत से हानिकारक बैक्टीरिया लग जाते हैं जो जन्म के बाद धोने से भी नहीं निकल पाते हैं इसलिए बच्चे के जन्म के 1 साल के भीतर एक बार मुंडन अवश्य कराना चाहिए।

मुंडन मुहूर्त के लिए तिथि, नक्षत्र और मास विचार

●  हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ (बड़े बच्चे का मुंडन इस माह में न करें, साथ ही इस माह में जन्म लेने वाले बच्चे का मुंडन भी न करें), आषाढ़ (मुंडन आषाढ़ी एकादशी से पहले करें), माघ और फाल्गुन मास में बच्चों का मुण्डन संस्कार कराना चाहिए।
●  तिथियां में द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी मुंडन संस्कार के लिए शुभ मानी जाती है।
●  मुंडन के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार शुभ दिन माने गये हैं। वहीं शुक्रवार के दिन बालिकाओं को मुंडन नहीं करना चाहिए।
●  नक्षत्रों में अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, पुनर्वसु, चित्रा, स्वाति, ज्येष्ठ, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा मुंडन संस्कार के लिए शुभ माने गये हैं।
●  कुछ विद्वानों के अनुसार जन्म मास व जन्म नक्षत्र और चंद्रमा के चतुर्थ, अष्टम, द्वादश और शत्रु भाव में स्थित होने पर मुंडन निषेध माना गया है। वहीं कुछ विद्वान जन्म नक्षत्र या जन्म राशि को मुंडन के लिए शुभ मानते हैं।
●  द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, षष्टम, सप्तम, नवम या द्वादश राशियों के लग्न या इनके नवांश में मुंडन शुभ होते हैं।

मुंडन संस्कार के लाभ

●  मुण्डन के बाद बच्चों के शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है। इससे मस्तिष्क स्थिर रहता है, साथ ही बच्चों को शारीरिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ नहीं होती हैं।
●  मुण्डन के प्रभाव से बच्चों को दांतों के निकलते समय होने वाला दर्द अधिक परेशान नहीं करता है।
●  जन्मकालीन केश उतारे जाने के बाद सिर पर धूप पड़ने से विटामिन डी मिलता है। इससे कोशिकाओं में रक्त का प्रवाह अच्छी तरह से होता है और इसके प्रभाव से भविष्य में आने वाले बाल बेहतर होते हैं.
●  मुंडन के संदर्भ में यजुर्वेद में उल्लेख है कि, मुंडन संस्कार बल, आयु, आरोग्य तथा तेज की वृद्धि के लिए किया जाने वाला अति महत्वपूर्ण संस्कार है।

विशेष: मुंडन संस्कार का शुभ मुहूर्त में संपन्न होना शिशु के लिए लाभदायक और कल्याणकारी होता है, इसलिए मुंडन संबंधी मुहूर्त के लिए विद्वान ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें या अपनी कुल परंपरा के अनुसार बच्चों का मुण्डन कराएँ।

First Call Free

Talk to Astrologer

First Chat Free

Chat with Astrologer