गृह प्रवेश मुहूर्त 2103 की तारीखें
गृह प्रवेश मुहूर्त New Delhi, India के लिए
दिनांक | आरंभ काल | समाप्ति काल |
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शनिवार, 10 फरवरी | 20:48:37 | 31:03:55 |
गुरुवार, 15 फरवरी | 17:34:04 | 31:00:01 |
शुक्रवार, 16 फरवरी | 06:59:11 | 28:37:32 |
शुक्रवार, 23 फरवरी | 22:20:13 | 30:52:53 |
शनिवार, 24 फरवरी | 06:51:55 | 24:49:53 |
सोमवार, 26 फरवरी | 15:38:05 | 28:45:36 |
गुरुवार, 01 मार्च | 06:49:53 | 17:02:28 |
शुक्रवार, 09 मार्च | 14:27:46 | 30:38:21 |
शनिवार, 10 मार्च | 06:37:14 | 30:37:13 |
बुधवार, 14 मार्च | 08:16:48 | 30:32:44 |
सोमवार, 26 मार्च | 06:18:53 | 10:25:46 |
बुधवार, 28 मार्च | 12:22:34 | 28:54:30 |
बुधवार, 09 मई | 05:34:34 | 13:37:39 |
बुधवार, 16 मई | 19:49:07 | 29:30:02 |
गुरुवार, 17 मई | 05:29:28 | 22:10:07 |
शनिवार, 19 मई | 05:28:25 | 25:10:51 |
शनिवार, 26 मई | 05:25:23 | 20:20:48 |
बुधवार, 30 मई | 15:29:50 | 29:24:07 |
गुरुवार, 31 मई | 05:23:52 | 29:23:52 |
बुधवार, 06 जून | 05:22:48 | 13:00:22 |
शुक्रवार, 15 जून | 08:38:32 | 29:22:44 |
शनिवार, 16 जून | 05:22:50 | 10:06:33 |
सोमवार, 18 जून | 10:59:22 | 18:16:44 |
शुक्रवार, 22 जून | 06:08:28 | 29:23:49 |
सोमवार, 02 जुलाई | 05:26:52 | 14:06:15 |
गुरुवार, 01 नवंबर | 23:41:56 | 30:32:42 |
शुक्रवार, 02 नवंबर | 06:33:26 | 24:44:15 |
सोमवार, 12 नवंबर | 06:40:57 | 14:26:02 |
गुरुवार, 15 नवंबर | 09:06:34 | 30:43:18 |
शुक्रवार, 16 नवंबर | 06:44:05 | 28:27:50 |
शुक्रवार, 23 नवंबर | 20:40:37 | 30:49:39 |
शनिवार, 24 नवंबर | 06:50:28 | 23:32:11 |
सोमवार, 26 नवंबर | 19:47:48 | 28:12:51 |
सोमवार, 03 दिसंबर | 18:55:09 | 30:57:30 |
शनिवार, 08 दिसंबर | 09:17:38 | 31:01:13 |
शुक्रवार, 14 दिसंबर | 07:05:17 | 17:52:14 |
सोमवार, 24 दिसंबर | 07:10:49 | 12:56:21 |
बुधवार, 26 दिसंबर | 15:57:36 | 31:11:43 |
गुरुवार, 27 दिसंबर | 07:12:07 | 14:34:43 |
हर व्यक्ति के जीवन में गृह प्रवेश एक महत्वपूर्ण क्षण होता है। क्योंकि कड़ी मेहनत और प्रयासों के बाद घर का सपना साकार होता है, इसलिए शुभ मुहूर्त में गृह प्रवेश का विशेष महत्व है। शुभ घड़ी और तिथि पर गृह प्रवेश करने से घर में शांति,समृद्धि और खुशहाली आती है। गृह प्रवेश के मुहूर्त का निर्धारण तिथि, नक्षत्र, लग्न और वार आदि के आधार पर किया जाता है।
गृह प्रवेश के लिए शास्त्रोक्त नियम
●शास्त्रों में माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ माह गृह प्रवेश के लिये सबसे उत्तम माह मनाये गये हैं।
●चातुर्मास अर्थात आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन के महीनों में गृह प्रवेश करना निषेध होता है। क्योंकि यह अवधि भगवान विष्णु समेत समस्त देवी-देवताओं के शयन का समय होता है। इसके अतिरिक्त पौष मास भी गृह प्रवेश के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
●मंगलवार को छोड़कर अन्य सभी दिनों में गृह प्रवेश किया जाता है। हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में रविवार और शनिवार के दिन भी गृह प्रवेश करना वर्जित होता है।
●अमावस्या व पूर्णिमा की तिथि को छोड़कर शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथि गृह प्रवेश के लिए शुभ मानी जाती है।
●गृह प्रवेश स्थिर लग्न में करना चाहिए। गृह प्रवेश के समय आपके जन्म नक्षत्र से सूर्य की स्थिति पांचवे में अशुभ, आठवें में शुभ, नौवें में अशुभ और छठवे में शुभ है।
गृह प्रवेश के प्रकार
सामान्यतः यह धारणा रही है कि गृह प्रवेश हमेशा नये घर में रहने के लिए किया जाता है लेकिन यह धारणा सही नहीं है। वास्तु शास्त्र के अनुसार गृह प्रवेश 3 प्रकार के होते हैं-
●अपूर्व: जब नये घर में रहने के लिए जाते हैं, तो यह ‘अपूर्व’ गृह प्रवेश कहलाता है।
●सपूर्व: यदि किन्ही कारणों से हम किसी दूसरे स्थान पर रहने चले जाते हैं और अपना घर खाली छोड़ देते हैं। इसके बाद जब हम पुनः घर में लौटते हैं, तो इसे सपूर्व गृह प्रवेश कहते हैं।
●द्वान्धव: प्राकृतिक आपदा अथवा किसी और परेशानी की वजह से जब मजबूरी में घर छोड़ना पड़ता है। इसके बाद दोबारा घर में रहने के लिए पूजा-पाठ किया जाता है, तो इसे द्वान्धव गृह प्रवेश कहा जाता है।
वास्तु शांति का महत्व
वास्तु शास्त्र प्राचीन भारतीय विज्ञान है। इसमें दिशाओं के महत्व को दर्शाया गया है। वास्तु से तात्पर्य है एक ऐसा स्थान जहाँ भगवान और मनुष्य एक साथ रहते हैं। मानव शरीर पांच तत्वों से बना है और वास्तु का सम्बन्ध भी इन पाँचों ही तत्वों से माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार प्रत्येक दिशा में देवताओं का वास होता है। हर दिशा से मिलने वाली ऊर्जा हमारे जीवन में सकारात्मक वातावरण, सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करती है, इसलिए गृह प्रवेश से पूर्व वास्तु पूजा और वास्तु शांति अवश्य करनी चाहिए।
निर्माण कार्य पूरा होने के बाद करें गृह प्रवेश
कभी-कभी हम आधे-अधूरे बने घर में ही प्रवेश कर लेते हैं लेकिन यह सही नहीं माना जाता है। शास्त्रों में गृह प्रवेश के कुछ विधान बताये गये हैं, जिनका पालन अवश्य करना चाहिए।
●जब तक घर में दरवाजे नहीं लग जाते हैं, विशेष रूप मुख्य द्वार पर, और घर की छत पूरी तरह से नहीं बन जाती है, तब तक गृह प्रवेश करने से बचना चाहिए।
●गृह प्रवेश के बाद कोशिश करें कि घर के मुख्य द्वार पर ताला नहीं लगाएँ। क्योंकि ऐसा करना अशुभ माना गया है।
विशेष: गृह प्रवेश के संबंध में दिये गये ये सभी विचार धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। हालांकि गृह प्रवेश से पूर्व वास्तु शांति और अन्य कार्यों के लिए विद्वान ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।