अगस्त 24, 2086 को 02:14:29 से पूर्णिमा आरम्भ
अगस्त 24, 2086 को 22:56:49 पर पूर्णिमा समाप्त
श्रावण पूर्णिमा विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार से मनाई जाती है, अतः इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं-
● श्रावण पूर्णिमा पर रक्षाबंधन मनाने की परंपरा है, अतः इस दिन देवी-देवताओं का पूजन कर रक्षासूत्र बांधें।
● इस दिन पितरों के लिये तर्पण भी करना चाहिये।
● गाय को चारा, चीटियों और मछलियों को आटा व दाने डालना चाहिए।
● श्रावण पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं में होता है अतः इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से चंद्रदोष से मुक्ति मिलती है।
● इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा का विधान है। विष्णु-लक्ष्मी के दर्शन से सुख, धन और समृद्धि कि प्राप्ति होती है।
● चूंकि श्रावण मास में भगवान शिव की विशेष रूप से आराधना की जाती है इसलिए पूर्णिमा के दिन भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करना चाहिए।
श्रावण पूर्णिमा पर मध्य और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में कजरी पूनम का पर्व भी मनाया जाता है। इसमें महिलाएँ नवमी के दिन पेड़ के पत्तों से बने पात्र में मिट्टी डालकर जौ बोती हैं और पूर्णिमा के दिन धूमधाम के साथ जौ के इन पात्रों को लेकर नदी में विसर्जित करने जाती हैं। महिलाएँ इस दिन व्रत रखकर अपने पुत्र की लंबी आयु और उसके सुख की कामना करती हैं।
श्रावण पूर्णिमा पूरे भारत में अलग-अलग धार्मिक मान्यताओं के साथ मनाई जाती है। उत्तर भारत में जहां इस दिन रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता है। वहीं दक्षिण भारत में इस दिन नारियली पूर्णिमा और अवनी अवित्तम मनाई जाती है। मध्य भारत में इसे कजरी पूनम तो गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा के पावन अवसर पर अमरनाथ की पवित्र यात्रा का शुभारंभ होता है और यह यात्रा श्रावण पूर्णिमा को संपन्न होती है। इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है और कांवड़ यात्रा संपन्न होती है।