ओणम 2030 दिनांक व मुहूर्त

ओणम मुहूर्त 2030 मध्ये कधी आहे?

9

सप्टेंबर, 2030 (सोमवार)

ओणम/थिरुवोणम मुहूर्त New Delhi, India

थिरुवोणम नक्षत्राची सुरवात सुरवात पासुन 19:58:47 पर्यंत सप्टेंबर 8, 2030

थिरुवोणम नक्षत्राचा शेवट पासुन 19:01:36 पर्यंत सप्टेंबर 9, 2030

चला जाणून घेऊया 2030 मध्ये ओणम केव्हा आहे व ओणम 2030 चे दिनांक व मुहूर्त.

ओणम केरल का दस दिवसीय त्यौहार है और इस पर्व का दसवाँ व अंतिम दिन बेहद ख़ास माना जाता है जिसे थिरुवोणम कहते हैं। मलयालम में श्रावन नक्षत्र को थिरु ओनम कहकर पुकारा जाता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम माह में श्रावण/थिरुवोणम नक्षत्र के प्रबल होने पर थिरु ओणम की पूजा की जाती है।

थिरुवोणम

थिरुवोणम दो शब्दों से मिलकर बना है - ‘थिरु और ओणम’ जिसमें थिरु का अर्थ है ‘पवित्र’, यह संस्कृत भाषा के ‘श्री’ के समान माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि प्रत्येक वर्ष इस दिन राजा महाबलि पाताल लोक से यहाँ लोगों को आशीर्वाद देने आते हैं। इसके अलावा भी कई आस्थाएँ इस ख़ास दिन से जुड़ी हुई हैं, जैसे- इसी दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार का जन्म हुआ था।

केरल में इस त्यौहार के लिए चार दिन का अवकाश रहता है जो थिरुवोणम के दिन से एक दिन पहले से प्रारंभ होकर उसके दो दिन बाद समाप्त होता है। ये चार दिन प्रथम ओणम, द्वितीय ओणम, तृतीय ओणम, और चथुर्थ ओणम के रुप में जाने जाते हैं। द्वितीय ओणम मुख्य रुप से थिरुवोणम का दिन है।

थिरुवोणम पर्व

1.  थिरुवोणम केरल के प्रमुख त्योहारों में से एक है। केरलवासी इस उत्सव को बड़े आयोजन के रुप में मनाते हैं। यह महोत्सव थिरु ओणम के दस दिन पहले से प्रारंभ हो जाता है। ओणम के प्रथम दिन को अथम/एथम नाम से जाना जाता है।
2.  पर्व के दूसरे दिन यानी चिथिरा को लोग 10वें दिन (तिरुवोणम) के लिए अपने घरों की साफ-सफाई तथा उसकी साज-सज्जा करने लगते हैं।
3.  उत्सव का आठवाँ दिन अर्थात पूरादम पर लोग थिरुवोणम के ख़ास दिन के लिए ख़रीदारी आदि करते हैं।
4.  वहीं नौवें दिन मतलब उथ्रादम पर लोग फल-सब्ज़ियाँ आदि ख़रीदते हैं और शाम को अपने अगले दिन के लिए पकवान आदि बनाते हैं।
5.  दसवें दिन की सुबह, लोग जल्दी उठकर स्नान और नए वस्त्र धारण कर अपनी क्षमता के अनुसार दान पुण्य करते हैं। ज़्यादातर परिवारों में घर का मुखिया सभी के लिए नए कपड़े बनवाता है।
6.  श्रावण/थिरुवोणम नक्षत्र में थिरुवोणम की पूजा रीति-रिवाज़ से की जाती है।
7.  महिलाओं द्वारा घरों की साफ़-सफ़ाई करने के बाद उसकी साज-सज्जा की जाती है। विषेश तौर पर घर के मुख्य द्वार पर राजा महाबलि के स्वागत के लिए फूलों का कालीन बिछाया जाता है। कुछ घरों में चावल के लेप से भी प्रवेश द्वार पर सुंदर आकृतियाँ बनाई जाती हैं।
8.  ओणम साध्या में राजा के लिए विशाल भोज का आयोजन किया जाता है। लोगों का मानना है कि इससे राजा ख़ुश होकर उन्हें आशीर्वाद देंगे। ओणम साध्या इस पर्व का मुख्य पक्ष है। इसके बगैर यह उत्सव अधूरा माना जाता है। भोज में क़रीब 26 तरह के स्वादिष्ट व्यंजन होते हैं जो केले के पत्ते में परोसे जाते हैं। इन व्यंजनों में आलू, दूध मक्खन, मिष्ठान, दाल, अचार, आदि शामिल होते हैं।
9.  सायं काल में विभिन्न तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खेलों का आयोजन किया जाता है। सूर्यास्त के बाद सारा वातावरण लैंप, लाइट आदि से प्रकाशमय हो जाता है।

ओणम का इतिहास

पौराणिक कथा के अनुसार, सदियों पहले महाबलि नाम के एक शक्तिशाली राजा हुए। उन्होंने तीनों लोकों (भू, देव और पाताल) पर राज किया। राक्षस योनि में पैदा होने के बावजूद भी उदार चरित्र होने के कारण उन्हें प्रजा बहुत प्यार करती थी, परंतु देवता उनसे ख़ुश नहीं थे, क्योंकि महाबलि ने उन्हें युद्ध में परास्त करने के बाद देवलोक पर शासन किया था। युद्ध में परास्त सभी देवता त्राहि माम करते हुए भगवान विष्णु के द्वार पर पहुँचे और उनसे अपना साम्राज्य वापस दिलाने की प्रार्थना की। इस पर विष्णुजी ने देवताओं की मदद के लिए वामन अवतार का रूप धारण किया, जिसमें वे एक बौने ब्राह्मण बने। दरअस्ल, ब्राह्मण को दान देना शुभ माना जाता है, इसलिए वामन का रुप धारण कर भगवान विष्णु राजा महाबलि के दरबार पर पहुँचे। राजा बलि ने जैसे ही ब्राह्मण यानि भगवान विष्णु से उनकी इच्छा पूछी तभी भगवान विष्णु ने उनसे केवल तीन क़दम ज़मीन मांगी। यह सुनते ही राजा महाबलि ने हाँ कह दिया और तभी भगवान विष्णु अपने असली रूप में आ गए। उन्होंने पहला कद़म देवलोक में रखा जबकि दूसरा भू लोक में और फिर तीसरे क़दम के लिए कोई जगह नहीं बची तो राजा ने अपना सिर उनके आगे कर दिया। विष्णुजी जी ने उनके सिर पर पैर रखा और इस तरह महाबलि पाताल लोक पहुँच गए। राजा ने यह सब बड़े ही विनम्र भाव से किया। यह देखकर भगवान विष्णु उनसे प्रसन्न हो गए और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा, तब महाबलि ने कहा कि, हे प्रभु! मेरी आपसे प्रार्थना है कि मुझे साल में एक बार लोगों से मिलने का मौक़ा दिया जाए। भगवान ने उनकी इस इच्छा को स्वीकार कर लिया, इसलिए थिरुवोणम के दिन राजा महाबलि लोगों से मिलने आते हैं।

केरल में दस दिवसीय ओणम महोत्सव

1.  एथम/अथम (प्रथम दिन): इस दिन, लोग अपने दैनिक क्रिया-कलापों की तरह सबेरे जल्दी उठकर मंदिर में ईश्वर की पूजा करते हैं। सुबह के नाश्ते में लोग केला और फ्राइ किए हुए पापड़ लेते हैं। ज़्यादातर लोग पूरे ओणम इसी ब्रेकफ़ास्ट को लेते हैं, उसके बाद लोग ओणम पुष्प कालीन (पूकलम) बनाते हैं।
2.  चिथिरा (दूसरा दिन): दूसरा दिन भी पूजा की शुरूआत के साथ शुरू होता है। उसके बाद महिलाओं द्वारा पुष्प कालीन में नए पुष्प जोड़े जाते हैं और पुरुष उन फूलों को लेकर आते हैं।
3.  चोधी (तीसरा दिन): पर्व का तीसरा दिन ख़ास है, क्योंकि थिरुवोणम को बेहतर तरीक़े से मनाने के लिए लोग इस दिन ख़रीदारी करते हैं।
4.  विसाकम (चौथा दिन): चौथे दिन कई जगह फूलों का कालीन बनाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। महिलाएँ इस दिन ओणम के अंतिम दिन के लिए अचार, आलू की चिप्स आदि तैयार करती हैं।
5.  अनिज़ाम (पाँचवां दिन): इस दिन का केन्द्र बिन्दु नौका दौड़ प्रतियोगिता होती है जिसे वल्लमकली भी कहते हैं।
6.  थ्रिकेता (छटा दिन): इस दिन कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और सभी उम्र के लोग इसमें भाग लेते हैं। साथ ही लोग इस दिन अपने क़रीबियों को बधाई भी देने जाते हैं।
7.  मूलम (सातवां दिन): लोगों का उत्साह इस दिन अपने चर्म पर होता है। बाज़ार भी विभिन्न खाद्य पदार्थों के साथ सज जाते हैं। लोग आसपास घूमने के साथ-साथ व्यंजनों की कई किस्मों का स्वाद चखते हैं और महिलाएँ अपने घरों को सजाने के लिए कई चीजें ख़रीदती हैं।
8.  पूरादम (आठवां दिन): इस दिन लोग मिट्टी के पिरामिड के आकार में मूर्तियाँ बनाते हैं। वे उन्हें ‘माँ’ कहते हैं और उनपर पुष्प चढ़ाते हैं।
9.  उथिरादम (नौवां दिन): यह दिन प्रथम ओणम के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन लोगों के लिए बेहद ही हर्षोल्लास भरा होता है, क्योंकि इस दिन लोगों को राजा महाबलि का इंतज़ार रहता है। सारी तैयारी पूरी कर ली जाती हैं और महिलाएँ विशाल पुष्प कालीन तैयार करती हैं।
10.  थिरुवोणम (दसवाँ दिन): इस दिन जैसे ही राजा का आगमन होता है लोग एक-दूसरे को पर्व की बधाई देने लगते हैं। बेहद ख़ूबसूरत पुष्प कालीन इस दिन बनाई जाती है। ओणम के पकवानों से थालियों को सजाया जाता है और साध्या को तैयार किया जाता है। कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है और जमकर आतिशबाज़ी की जाती है। इस दिन को दूसरा ओणम भी कहा जाता है।
      ओणम फ़ेस्टिवल थिरुवोणम के बाद भी दो दिनों तक और मनाया जाता है अर्थात यह कुल 12 दिनों तक मनाया जाता है, हालाँकि ओणम में पहले के 10 दिन ही मुख्य होते हैं।
11.  अविट्टम (ग्यारवां दिन): यह दिन तीसरे ओणम के नाम से भी जाना जाता है। लोग अपने राजा को वापस भेजने की तैयारी करते हैं। कुछ लोग रीति-रिवाज से ओनथाप्पन मूर्ति को नदी अथवा सागर में प्रवाह करते हैं, जिसे वे अपने पुष्प कालीन के बीच इन पूरे दस दिनों तक रखते हैं। इसके बाद पुष्प कालीन को हटाकर साफ़-सफाई की जाती है, हालाँकि कुछ लोग इसे थिरुवोणम के बाद भी 28 दिनों तक अपने पास रखते हैं। इस दिन पुलीकली नृत्य भी किया जाता है।
12.  चथ्यम (बाहरवां दिन): इस दिन पूरे समारोह को एक विशाल नृत्य कार्यक्रम के साथ समाप्त किया जाता है।

ओणम और थिरुवोणम की जानकारी के साथ हम आशा करते हैं कि आप इस त्यौहार को ख़ुशियों के साथ मनाएँ।

आप सभी को ओणम की हार्दिक बधाई!

अधिक जाणून घ्या ओणम/थिरुवोणम
First Call Free

Talk to Astrologer

First Chat Free

Chat with Astrologer