कल्परम्भ 2085 दिनांक व मुहूर्त

2085 मध्ये काळप्रारंभ कधी आहे?

25

सप्टेंबर, 2085 (मंगळवार)

काळप्रारंभ मुहूर्त New Delhi, India

षष्ठी तिथी सुरवात 12:55:48 पासुन. सप्टेंबर 24, 2085 रोजी

षष्ठी तिथी समाप्ती 12:54:51 पर्यंत. सप्टेंबर 25, 2085 रोजी

चला जाणून घेऊया 2085 मध्ये कल्परम्भ केव्हा आहे व कल्परम्भ 2085 चे दिनांक व मुहूर्त.

दुर्गा पूजा की विधिवत शुरुआत षष्ठी से प्रारंभ होती है। मान्यता है कि देवी दुर्गा इस दिन धरती पर आई थीं। षष्ठी के दिन बिल्व निमंत्रण पूजन, कल्पारंभ, अकाल बोधन, आमंत्रण और अधिवास की परंपरा है।

काल प्रारंभ

काल प्रारंभ की क्रिया प्रात: काल की जाती है। इस दौरान घट या कलश में जल भरकर देवी दुर्गा को समर्पित करते हुए इसकी स्थापना की जाती है। घट स्थापना के बाद महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी तीनों दिन मां दुर्गा की विधिवत पूजा-आराधना का संकल्प लिया जाता है।

बोधन

बोधन जिसे अकाल बोधन के नाम से भी जाना जाता है। बोधन की क्रिया शाम को संपन्न की जाती है। बोधन से तात्पर्य है नींद से जगाना। इस मौके पर मां दुर्गा को नींद से जगाया जाता है। दरअसल हिंदू मान्यता के अनुसार सभी देवी-देवता दक्षिणायान काल में निंद्रा में होते हैं। चूंकि दुर्गा पूजा उत्सव साल के मध्य में दक्षिणायान काल में आता है इसलिए देवी दुर्गा को बोधन के माध्यम से नींद से जगाया जाता है। बताया जाता है कि भगवान श्री राम ने सबसे पहले आराधना करके देवी दुर्गा को जगाया था और इसके बाद राक्षस राज रावण का वध किया था। चूंकि देवी दुर्गा को असमय नींद से जगाया जाता है इसलिए इस क्रिया को अकाल बोधन भी कहते हैं।

बोधन की परंपरा में किसी कलश या अन्य पात्र में जल भरकर उसे बिल्व वृक्ष के नीचे रखा जाता है। बिल्व पत्र का शिव पूजन में बड़ा महत्व होता है। बोधन की क्रिया में मां दुर्गा को निंद्रा से जगाने के लिए प्रार्थना की जाती है।

बोधन के बाद अधिवास और आमंत्रण की परंपरा निभाई जाती है। देवी दुर्गा की वंदना को आह्वान के तौर पर भी जाना जाता है। बिल्व निमंत्रण के बाद जब प्रतीकात्मक तौर पर देवी दुर्गा की स्थापना कर दी जाती है, तो इसे आह्वान कहा जाता है जिसे अधिवास के नाम से भी जाना जाता है।

अधिक जाणून घ्या कल्पारंभ
First Call Free

Talk to Astrologer

First Chat Free

Chat with Astrologer