दुर्गा पूजा 2043 तारीखें

दुर्गा पूजा की तारीख New Delhi, India के लिए

दिन 1 (षष्ठी)

शुक्रवार, अक्टूबर 9, 2043

दिन 2 (सप्तमी)

शनिवार, अक्टूबर 10, 2043

दिन 3 (अष्टमी)

रविवार, अक्टूबर 11, 2043

दिन 4 (नवमी)

सोमवार, अक्टूबर 12, 2043

दिन 5 (दशमी)

मंगलवार, अक्टूबर 13, 2043

दिन 5 (दशमी)

मंगलवार, अक्टूबर 13, 2043

दुर्गा पूजा हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। देवी दुर्गा की आराधना का यह पर्व दुर्गा उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा पूजा 10 दिनों तक चलने वाला पर्व है। हालांकि सही मायनों में इसकी शुरुआत षष्टी से होती है। दुर्गा पूजा उत्सव में षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी और विजयादशमी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में दुर्गा पूजा का पर्व मनाया जाता है इसलिए दुर्गा पूजा पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर भी जाना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर बिहार और झारखंड में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि दुर्गा पूजा के समय स्वयं देवी दुर्गा कैलाश पर्वत को छोड़ धरती पर अपने भक्तों की बीच रहने आती हैं। मां दुर्गा देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती, कार्तिकेय और गणेश के साथ धरती पर अवतरित होती हैं।

महालय का महत्व

दुर्गा पूजा उत्सव का पहला दिन महालय कहलाता है। इस दिन पितृों को तर्पण करने का विधान होता है। बताया जाता है कि महालय के दिन देवों और असुरों में युद्ध हुआ था। इसमें बहुत से देव और ऋषि मारे गए थे। उन्हें तर्पण देने के लिए महालय होता है।

दुर्गा पूजा की परंपरा और महत्व

दुर्गा पूजा की विधिवत शुरुआत षष्टी से प्रारंभ होती है। मान्यता है कि देवी दुर्गा इस दिन धरती पर आई थीं। षष्ठी के दिन बिल्व निमंत्रण पूजन, कल्पारंभ, अकाल बोधन, आमंत्रण और अधिवास की परंपरा होती है। अगले दिन महासप्तमी पर नवपत्रिका या कलाबाऊ पूजा की जाती है। महाअष्टमी को दुर्गा पूजा का मुख्य दिन माना जाता है। महाअष्टमी पर संधि पूजा होती है। यह पूजा अष्टमी और नवमी दोनों दिन चलती है। संधि पूजा में अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधिक्षण कहते हैं। अंत में दशमी के मौके पर दुर्गा विसर्जन, विजयदशमी और सिंदूर उत्सव मनाया जाता है।

First Call Free

Talk to Astrologer

First Chat Free

Chat with Astrologer