आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पारणाा का समय : 18:26:46 के बाद से
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पारणाा मुहूर्त: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ घटस्थापना के साथ किया जाता है तो वहीं समापन व्रत पारणा के साथ किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि नवरात्रि का व्रत पारणा पूरे विधि विधान के साथ न किया जाए तो व्यक्ति को व्रत का पूरा फल नहीं प्राप्त होता है।
शास्त्रों के अनुसार, दशमी तिथि को ही व्रत खोलने का विधान है। यदि नवमी तिथि बढ़ती है तो पहली नवमी को व्रत रखते हैं और दूसरे दिन पारणा करते हैं। दशमी तिथि में पारणा करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही व्यक्ति समस्त समस्या से छुटकारा पा लेता है और जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पारणाा मुहूर्त को लेकर अलग-अलग परंपराएं देखने को मिलती हैं। कुछ भक्त नवरात्रि का व्रत पारणा महाष्टमी के दिन करते हैं। वहीं कुछ लोग नवमी यानी कि दुर्गा नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद कन्या पूजन और हवन कर व्रत पारणा करते हैं लेकिन पारणा के लिए नवमी तिथि के अस्त होने से पहले का समय ही शुभ माना गया है। इसके साथ ही दशमी की तिथि को भी उपयुक्त माना गया है।
● व्रत का पारणा करने के लिए दशमी पर सुबह उठकर स्नान करना चाहिए।
● मंदिर में गंगाजल छिड़क कर, दीप प्रज्वलित करना चाहिए। इसके बाद दुर्गा माता की मन लगा कर पूजा करें और फिर कन्या भोज कराएं।
● मंदिर में गंगाजल छिड़क कर, दीप प्रज्वलित करना चाहिए। इसके बाद दुर्गा माता की मन लगा कर पूजा करें और फिर कन्या भोज कराएं।
● अब कलश के जल को आम के पत्तों या फूल की मदद से घर में छिड़क दें।