आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना 2023 की तारीख व मुहूर्त

2023 में आषाढ़ घटस्थापना कब है?

19

जून, 2023 (सोमवार)

आषाढ़ घटस्थापना मुहूर्त New Delhi, India के लिए

आषाढ़ घटस्थापना मुहूर्त : 05:23:14 से 07:27:27 तक

अवधि : 2 घंटे 4 मिनट

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना: घटस्थापना या कलश स्थापना पूजा नवरात्रि उत्सव के दौरान महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। घटस्थापना को नवरात्रि के नौ दिनों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। हर नवरात्रि की तरह आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में इसका विशेष महत्व है। देवी शक्ति का आह्वान करने के लिए कलश स्थापना की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कलश स्थापना से घर में फैली सारी नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना के लिए उत्तर पूर्व दिशा को सबसे शुभ माना जाती है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना नियम

घटस्थापना के लिए प्रतिपदा तिथि के दिन का पहला एक तिहाई समय शुभ माना जाता है। अगर किसी कारणवश इस अवधि में कलश स्थापना न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में कर सकते हैं। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना करते हैं तो 9 दिन तक नियमित रूप से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होनी चाहिए। सुबह-शाम आरती करें और भोग लगाएं। इस दौरान विशेष तौर पर साफ-सफाई का ध्यान रखें।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कलश में देवी-देवताओं, ग्रहों और नक्षत्रों का वास माना गया है। कलश सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला और मंगल कार्य का प्रतीक माना जाता है। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में कलश स्थापना कर समस्त शक्तियों आह्वान किया जाता है। इससे घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना: पूजा विधि

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना के लिए घर की उत्तर पूर्व दिशा में गंगाजल छिड़क कर एक बर्तन रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। अब पवित्र मिट्टी को मिट्टी के बर्तन में रखें और उसमें जौ के बीज बो दें। इसके बाद किसी तांबे या मिट्टी के बर्तन में गंगाजल भरकर उसमें अक्षत, सुपारी, सिक्का, लौंग और दूर्वा (दूब घास) डालें। कलश के गले में कलावा बांधें और नारियल के चारों ओर लाल चुनरी लपेट दें। इसे कलावा से बांधें और कलश में आम के पत्ते डालकर उस पर नारियल रखें। इसके बाद कलश को जौ वाले बर्तन में रखें और मां दुर्गा के दाहिनी ओर स्थापित करें। कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करें।

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