अप्रैल 17, 2030 को 12:20:00 से पूर्णिमा आरम्भ
अप्रैल 18, 2030 को 08:51:53 पर पूर्णिमा समाप्त
आइए जानते हैं कि हनुमान जयंती को कैसे मनाया जाता है। नीचे व्रत एवं पूजा विधि का विवरण दिया जा रहा है:
1. इस दिन तात्कालिक तिथि (राष्ट्रव्यापिनि) को लिया जाता है।
2. व्रत की पूर्व रात्रि को ज़मीन पर सोने से पहले भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ हनुमान जी का स्मरण करें।
3. प्रात: जल्दी उठकर दोबार राम-सीता एवं हनुमान जी को याद करें।
4. जल्दी सबेरे स्नान ध्यान करें।
5. अब हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें।
6. इसके बाद, पूर्व की ओर भगवान हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें।
7. अब विनम्र भाव से बजरंगबली की प्रार्थना करें।
8. आगे षोडशोपाचार की विधि विधान से श्री हनुमानजी की आराधना करें।
अंजना एक अप्सरा थीं, हालाँकि उन्होंने श्राप के कारण पृथ्वी पर जन्म लिया और यह श्राप उनपर तभी हट सकता था जब वे एक संतान को जन्म देतीं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार केसरी श्री हनुमान जी के पिताथे। वे सुमेरू के राजा थे और केसरी बृहस्पति के पुत्र थे। अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों की भगवान शिव की घोर तपस्या की और परिणाम स्वरूप उन्होंने संतान के रूप में हनुमानजी को प्राप्त किया। ऐसा विश्वसा है कि हनुमानजी भगवान शिव के ही अवतार हैं।
हनुमान जयंती की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ!.