गोवर्धन पूजा 2019 की तारीख व मुहूर्त
2019 में गोवर्धन पूजा कब है?
28
अक्टूबर, 2019
(सोमवार)

गोवर्धन पूजा मुहूर्त New Delhi, India के लिए
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त :
15:25:41 से 17:39:38 तक
अवधि :
2 घंटे 13 मिनट
आइए जानते हैं कि 2019 में गोवर्धन पूजा कब है व गोवर्धन पूजा 2019 की तारीख व मुहूर्त। हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। इस पर्व का सीधा संबंध प्रकृति और मानव से है। गोवर्धन पूजा या अन्न कूट का त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानि दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार समस्त भारत में मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत में खासकर ब्रज भूमि (मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना आदि) पर इसकी भव्यता और बढ़ जाती है, जहां स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल के लोगों को गोवर्धन पूजा के लिए प्रेरित किया था और देवराज इंद्र के अहंकार का नाश किया था।
गोवर्धन पूजा की तिथि और शास्त्रोक्त नियम
गोवर्धन पूजा कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है। इसकी गणना निम्न प्रकार से की जा सकती है।
1. गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनानी चाहिए लेकिन यह सुनिश्चित हो कि इस दिन संध्या के समय चंद्र दर्शन नहीं हो।
2. यदि शाम को सूर्यास्त के समय कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन चंद्र दर्शन होने वाला है तो गोवर्धन पूजा पहले दिन करनी चाहिए।
3. यदि सूर्य उदय के समय प्रतिपदा तिथि लगती है और चंद्र दर्शन नहीं हो, तो उसी दिन गोवर्धन पूजा मनानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो तो गोवर्धन पूजा पहले दिन मान्य होगी।
4. जब सूर्योदय के बाद प्रतिपदा तिथि कम से कम 9 मुहूर्त तक विद्यमान हो, भले ही उस दिन चंद्र दर्शन शाम को हो जाए लेकिन स्थूल चंद्र दर्शन का अभाव माना जाए। ऐसी स्थिति में गोवर्धन पूजा उसी दिन मनानी चाहिए।
गोवर्धन पूजा के नियम और विधि
गोवर्धन पूजा का भारतीय जन जीवन में बड़ा महत्व है। वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है। इस दिन गोवर्धन पर्वत, गोधन यानि गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। यह त्यौहार मानव जाति को इस बात का संदेश देता है कि हमारा जीवन प्रकृति द्वारा प्रदान संसाधनों पर निर्भर है और इसके लिए हमें उनका सम्मान और धन्यवाद करना चाहिए। गोवर्धन पूजा के जरिए हम समस्त प्राकृतिक संसाधनों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं।
1. गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है। गोवर्धन पूजा सुबह या शाम के समय की जाती है। पूजन के दौरान गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाये जाने चाहिए। इसी दिन गाय-बैल और कृषि काम में आने वाले पशुओं की पूजा की जाती है।
2. गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैं।
3. पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनकी जय बोली जाती है। परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी की जाती है।
4. गोवर्धन गिरि भगवान के रूप में माने जाते हैं और इस दिन उनकी पूजा घर में करने से धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है।
5. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है। इस मौके पर सभी कारखानों और उद्योगों में मशीनों की पूजा होती है।
गोवर्धन पूजा पर होने वाले आयोजन
1. गोवर्धन पूजा प्रकृति और भगवान श्री कृष्ण को समर्पित त्यौहार है। गोवर्धन पूजा के मौके पर देशभर के मंदिरों में धार्मिक आयोजन और अन्नकूट यानि भंडारे होते हैं। पूजन के बाद लोगों में भोजन प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
2. गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि परिक्रमा करने से भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
गोवर्धन पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा
विष्णु पुराण में गोवर्धन पूजा के महत्व का वर्णन मिलता है। बताया जाता है कि देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर अभिमान हो गया था और भगवान श्री कृष्ण इंद्र के अहंकार को चूर करने के लिए एक लीला रची थी। इस कथा के अनुसार एक समय गोकुल में लोग तरह-तरह के पकवान बना रहे थे और हर्षोल्लास के साथ गीत गा रहे थे। यह सब देखकर बाल कृष्ण ने यशोदा माता से पूछा कि, आप लोग किस उत्सव की तैयारी कर रहे हैं। कृष्ण से सवाल पर मां यशोदा ने कहा कि, हम देवराज इंद्र की पूजा कर रहे हैं। माता यशोदा के जवाब पर कृष्ण ने फिर पूछा कि हम इंद्र की पूजा क्यों करते हैं। तब यशोदा मां ने कहा कि, इंद्र देव की कृपा से अच्छी बारिश होती है और अन्न की पैदावार होती है, हमारी गायों को चारा मिलता है। माता यशोदा की बात सुनकर कृष्ण ने कहा कि, अगर ऐसा है तो हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि हमारी गाय वहीं चरती है, वहां लगे पेड़-पौधों की वजह से बारिश होती है। कृष्ण की बात मानकर सभी गोकुल वासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी। यह सब देख देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। प्रलयकारी वर्षा देखकर सभी गोकुल वासी घबरा गए। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीला दिखाई और गोवर्धन पर्वत को छोटी सी अंगुली पर उठा लिया और समस्त ग्राम वासियों को पर्वत के नीचे बुला लिया। यह देखकर इंद्र ने बारिश और तेज कर दी लेकिन 7 दिन तक लगातार मूसलाधार बारिश के बावजूद गोकुल वासियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इसके बाद इंद्र को अहसास हुआ कि मुकाबला करने वाला कोई साधारण मनुष्य नहीं हो सकता है। इंद्र को जब यह ज्ञान हुआ कि वह भगवान श्री कृष्ण से मुकाबला कर रहा था, इसके बाद इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा याचना की और स्वयं मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया। इस पौराणिक घटना के बाद से गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई।
गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है। जहां हर साल देश और दुनिया से लाखों श्रद्धालु गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के लिए पहुंचते हैं।
गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट उत्सव
गोवर्धन पूजा के मौके पर मंदिरों में अन्न कूट का आयोजन किया जाता है। अन्न कूट यानि कई प्रकार के अन्न का मिश्रण, जिसे भोग के रूप में भगवान श्री कृष्ण को चढ़ाया जाता है। कुछ स्थानों पर विशेष रूप से बाजरे की खिचड़ी बनाई जाती है, साथ ही तेल की पूड़ी आदि बनाने की परंपरा है। अन्न कूट के साथ-साथ दूध से बनी मिठाई और स्वादिष्ट पकवान भोग में चढ़ाए जाते हैं। पूजन के बाद इन पकवानों को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को बांटा जाता है। कई मंदिरों में अन्न कूट उत्सव के दौरान जगराता किया जाता है और भगवान श्री कृष्ण की आराधना कर उनसे खुशहाल जीवन की कामना की जाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. दीपावली पर गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है?
गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत, गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। इस पूजा के माध्यम से हम प्राकृतिक संसाधनों को अपना सम्मान प्रकट करते हैं।
2. गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है?
गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाये जाते हैं। उन्हें फूलों से सजाया जाता है और सुबह और शाम के दौरान उनकी पूजा की जाती है। पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात बार परिक्रमा और उनकी जय की जाती है।
3. गोवर्धन पूजा का क्या अर्थ है?
गोवर्धन पूजा का अर्थ होता है गोवर्धन की पूजा। इस दिन गोधन या गायों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा प्रकट करने के लिए गोवर्धन की पूजा की जाती है। इसे दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है।
4. गोवर्धन पूजा में क्या क्या सामग्री चाहिए?
गाय का गोबर, रोली, मौली, अक्षत, कच्चा दूध, फूल, फूलों की माला, गन्ने, बताशे, चावल, मिट्टी का दिया, धूप, दीपक, नैवेद्य, फल, मिठाई, दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, भगवान् कृष्ण की प्रतिमा।
5. दीपावली के दूसरे दिन किसकी पूजा होती है?
दीपवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पर्वत, गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की भी पूजा का विधान बताया गया है।
6. अन्नकूट क्यों मनाया जाता है?
अन्नकूट उत्सव गोवर्धन पूजा के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण को कई तरह के अन्न का मिश्रण भोग के रूप में भगवान कृष्ण को चढ़ाया जाता है।
7. गोवर्धन पूजा करने से क्या लाभ होता है?
गोवर्धन पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को गोवर्धन पूजा की अनंत शुभकामनाएं !
एस्ट्रोसेज मोबाइल पर सभी मोबाइल ऍप्स
एस्ट्रोसेज टीवी सब्सक्राइब
- Mars Transit In Cancer: Debilitated Mars; Blessing In Disguise
- Chaitra Navratri 2025 Day 4: Goddess Kushmanda’s Blessings!
- April 2025 Monthly Horoscope: Fasts, Festivals, & More!
- Mercury Rise In Pisces: Bringing Golden Times Ahead For Zodiacs
- Chaitra Navratri 2025 Day 3: Puja Vidhi & More
- Chaitra Navratri Day 2: Worship Maa Brahmacharini!
- Weekly Horoscope From 31 March To 6 April, 2025
- Saturn Rise In Pisces: These Zodiacs Will Hit The Jackpot
- Chaitra Navratri 2025 Begins: Note Ghatasthapna & More!
- Numerology Weekly Horoscope From 30 March To 5 April, 2025
- मंगल का कर्क राशि में गोचर: देश-दुनिया और स्टॉक मार्केट में आएंगे उतार-चढ़ाव!
- चैत्र नवरात्रि 2025 का चौथा दिन: इस पूजन विधि से करें मां कूष्मांडा को प्रसन्न!
- रामनवमी और हनुमान जयंती से सजा अप्रैल का महीना, इन राशियों के सुख-सौभाग्य में करेगा वृद्धि
- बुध का मीन राशि में उदय होने से, सोने की तरह चमक उठेगा इन राशियों का भाग्य!
- चैत्र नवरात्रि 2025 का तीसरा दिन: आज मां चंद्रघंटा की इस विधि से होती है पूजा!
- चैत्र नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन मां दुर्गा के इस रूप की होती है पूजा!
- मार्च का आख़िरी सप्ताह रहेगा बेहद शुभ, नवरात्रि और राम नवमी जैसे मनाए जाएंगे त्योहार!
- मीन राशि में उदित होकर शनि इन राशियों के करेंगे वारे-न्यारे!
- चैत्र नवरात्रि 2025 में नोट कर लें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और तिथि!
- अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 30 मार्च से 05 अप्रैल, 2025
- [अप्रैल 6, 2025] राम नवमी
- [अप्रैल 7, 2025] चैत्र नवरात्रि पारणा
- [अप्रैल 8, 2025] कामदा एकादशी
- [अप्रैल 10, 2025] प्रदोष व्रत (शुक्ल)
- [अप्रैल 12, 2025] हनुमान जयंती
- [अप्रैल 12, 2025] चैत्र पूर्णिमा व्रत
- [अप्रैल 14, 2025] बैसाखी
- [अप्रैल 14, 2025] मेष संक्रांति
- [अप्रैल 14, 2025] अम्बेडकर जयन्ती
- [अप्रैल 16, 2025] संकष्टी चतुर्थी
- [अप्रैल 24, 2025] वरुथिनी एकादशी
- [अप्रैल 25, 2025] प्रदोष व्रत (कृष्ण)
- [अप्रैल 26, 2025] मासिक शिवरात्रि
- [अप्रैल 27, 2025] वैशाख अमावस्या
- [अप्रैल 30, 2025] अक्षय तृतीया