• Talk To Astrologers
  • Brihat Horoscope
  • Personalized Horoscope 2025
  1. भाषा :

भाई दूज 2058 की तारीख व मुहूर्त

2058 में भाई दूज कब है?

17

नवंबर, 2058

(रविवार)

भाई दूज

भाई दूज का मुहूर्त New Delhi, India के लिए

भाई दूज तिलक का समय :
13:10:03 से 15:18:27 तक
अवधि :
2 घंटे 8 मिनट

आइए जानते हैं कि 2058 में भाई दूज कब है व भाई दूज 2058 की तारीख व मुहूर्त। भाई दूज पर्व, भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है। भाई दूज या भैया दूज पर्व को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से मनाया जाता है। भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाने वाला पर्व है। यह तिथि दीपावली के दूसरे दिन आती है। इस मौके पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती है। वहीं भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार भेंट करता है। भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन भी होता है। मान्यता है कि इसी दिन यम देव अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन करने आये थे।

भाई दूज मनाने की तिथि और नियम

भाई दूज (यम द्वितीया) कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। इसकी गणना निम्न प्रकार से की जा सकती है।

1.  शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि जब अपराह्न (दिन का चौथा भाग) के समय आये तो उस दिन भाई दूज मनाई जाती है। अगर दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि लग जाती है तो भाई दूज अगले दिन मनाने का विधान है। इसके अलावा यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि नहीं आती है तो भी भाई दूज अगले दिन मनाई जानी चाहिए। ये तीनों मत अधिक प्रचलित और मान्य है।
2.  एक अन्य मत के अनुसार अगर कार्तिक शुक्ल पक्ष में जब मध्याह्न (दिन का तीसरा भाग) के समय प्रतिपदा तिथि शुरू हो तो भाई दूज मनाना चाहिए। हालांकि यह मत तर्क संगत नहीं बताया जाता है।
3.  भाई दूज के दिन दोपहर के बाद ही भाई को तिलक व भोजन कराना चाहिए। इसके अलावा यम पूजन भी दोपहर के बाद किया जाना चाहिए।

भाई दूज पर होने वाले रीति रिवाज़ और विधि

हिंदू धर्म में त्यौहार बिना रीति रिवाजों के अधूरे हैं। हर त्यौहार एक निश्चित पद्धति और रीति-रिवाज से मनाया जाता है।

1.  भाई दूज के मौके पर बहनें, भाई के तिलक और आरती के लिए थाल सजाती है। इसमें कुमकुम, सिंदूर, चंदन,फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि सामग्री होनी चाहिए।
2.  तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बनायें।
3.  चावल के इस चौक पर भाई को बिठाया जाए और शुभ मुहूर्त में बहनें उनका तिलक करें।
4.  तिलक करने के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दें और उनकी आरती उतारें।
5.  तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और सदैव उनकी रक्षा का वचन दें।

भाई दूज से जुड़ीं पौराणिक कथाएं

हिंदू धर्म में जितने भी पर्व और त्यौहार होते हैं उनसे कहीं ना कहीं पौराणिक मान्यता और कथाएं जुड़ी होती हैं। ठीक इसी तरह भाई दूज से भी कुछ पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। ये प्राचीन कथाएं इस पर्व के महत्व को और बढ़ाती है।

यम और यमि की कथा

पुरातन मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे, इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा की शुरुआत हुई। सूर्य पुत्र यम और यमी भाई-बहन थे। यमुना के अनेकों बार बुलाने पर एक दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे। इस मौके पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की कामना की। इसके बाद जब यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा, तो यमुना ने कहा कि, आप हर वर्ष इस दिन में मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा। बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्हें आशीष प्रदान किया। इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई। इस दिन यमुना नदी में स्नान का बड़ा महत्व है क्योंकि कहा जाता है कि भाई दूज के मौके पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है।

भगवान श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे। इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी। इस दिन से ही भाई दूज के मौके पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं।

विभिन्न क्षेत्रों में भाई दूज पर्व

देश के विभिन्न इलाकों में भाई दूज पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। दरअसल भारत में क्षेत्रीय विविधता और संस्कृति की वजह से त्यौहारों के नाम थोड़े परिवर्तित हो जाते हैं हालांकि भाव और महत्व एक ही होता है।

पश्चिम बंगाल में भाई दूज

पश्चिम बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा पर्व के नाम से जाना जाता है। इस दिन बहनें व्रत रखती हैं और भाई का तिलक करने के बाद भोजन करती हैं। तिलक के बाद भाई भेंट स्वरूप बहन को उपहार देता है।

महाराष्ट्र में भाई दूज पर्व

महाराष्ट्र और गोवा में भाई दूज को भाऊ बीज के नाम से मनाया जाता है। मराठी में भाऊ का अर्थ है भाई। इस मौके पर बहनें तिलक लगाकर भाई के खुशहाल जीवन की कामना करती हैं।

उत्तर प्रदेश में भाई दूज पर्व

यूपी में भाई दूज के मौके पर बहनें भाई का तिलक कर उन्हें आब और शक्कर के बताशे देती हैं। उत्तर प्रदेश में भाई दूज पर आब और सूखा नरियल देने की परंपरा है। आब देने की परंपरा हर घर में प्रचलित है।

बिहार में भाई दूज पर्व

बिहार में भाई दूज पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। दरअसल इस दिन बहनें भाइयों को डांटती हैं और उन्हें भला बुरा कहती हैं और फिर उनसे माफी मांगती हैं। दरअसल यह परंपरा भाइयों द्वारा पहले की गई गलतियों के चलते निभाई जाती है। इस रस्म के बाद बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं।

नेपाल में भाई दूज पर्व

नेपाल में भाई दूज पर्व भाई तिहार के नाम से लोकप्रिय है। तिहार का मतलब तिलक या टीका होता है। इसके अलावा भाई दूज को भाई टीका के नाम से भी मनाया जाता है। नेपाल में इस दिन बहनें भाइयों के माथे पर सात रंग से बना तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयु व सुख, समृद्धि की कामना करती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. भाई दूज का क्या महत्व है?

भाई दूज का त्यौहार भाई और बहन के रिश्ते को खूबसूरती से दर्शाता है। इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं, उन्हें अपने हाथ का बना भोजन कराती हैं और उनके मंगल जीवन की कामना करती हैं।

2. भाई दूज कैसे बनाई जाती है?

बहनें अपने भाइयों को साफ़ जगह पर बिठा कर उनका तिलक करती हैं, इसके बाद उनकी आरती उतारती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और दोनों एक दूसरे के मंगल जीवन और सुरक्षा की कामना करते हैं।

3. भाई दूज कब है 2058?

वर्ष 2058 में भाई दूज का त्योहार 17 नवंबर के दिन मनाया जायेगा।

भाई दूज पर्व भाई और बहन के पवित्र रिश्ते और प्यार का प्रतीक है। आइये भाई दूज के अवसर पर हम सब भाई-बहन एक-दूसरे से प्यार बांटे और खुशहाल जीवन की कामना करें। एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को भाई दूज पर्व की शुभकामनाएं !

एस्ट्रोसेज मोबाइल पर सभी मोबाइल ऍप्स

एस्ट्रोसेज टीवी सब्सक्राइब

      रत्न खरीदें

      एस्ट्रोसेज डॉट कॉम सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाले रत्न, लैब सर्टिफिकेट के साथ बेचता है।

      यन्त्र खरीदें

      एस्ट्रोसेज डॉट कॉम के विश्वास के साथ यंत्र का लाभ उठाएँ।

      नवग्रह यन्त्र खरीदें

      ग्रहों को शांत और सुखी जीवन प्राप्त करने के लिए नवग्रह यन्त्र एस्ट्रोसेज से लें।

      रूद्राक्ष खरीदें

      एस्ट्रोसेज डॉट कॉम से सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाले रुद्राक्ष, लैब सर्टिफिकेट के साथ प्राप्त करें।