2023 पौष अमावस्या

2023 मध्ये पौष अमावस्या कधी आहे?

नाही

पौष अमावस्या मुहूर्त New Delhi, India

2023 या वर्षांमध्ये पौष अमावस्या नाही

वैदिक पंचांग के अनुसार पौष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि का बड़ा महत्व है। क्योंकि कई धार्मिक कार्य अमावस्या पर किये जाते हैं। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण व श्राद्ध किया जाता है। वहीं पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन उपवास रखा जाता है। पौष माह में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है।

पौष अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्मकांड

पौष का महीना धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। पौष मास की अमावस्या पर किये जाने वाले व्रत और धार्मिक कर्म इस प्रकार है:

1.  पौष अमावस्या पर पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है। अत: इस दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें।
2.  तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
3.  पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
4.  जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष और संतान हीन योग उपस्थित है। उन्हें पौष अमावस्य का उपवास कर पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए।
●  अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ का पूजन करना चाहिए और तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए।
●  मान्यता है कि पौष अमावस्या का व्रत करने से पितरों को शांति मिलती है और मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


पौष अमावस्या का महत्व

हिन्दू धर्म ग्रन्थों में पौष मास को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए यह माह श्रेष्ठ होता है। पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। पौष मास में होने वाले मौसम परिवर्तन के आधार पर आने वाले साल में होने वाली बारिश का अनुमान लगाया जा सकता है।

First Call Free

Talk to Astrologer

First Chat Free

Chat with Astrologer