जनवरी 14, 2086 को 19:35:39 से अमावस्या आरम्भ
जनवरी 15, 2086 को 16:55:50 पर अमावस्या समाप्त
हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। माघ अमावस्या के दिन किये जाने वाले धार्मिक कर्म, व्रत और नियम इस प्रकार हैं-
1. मौनी अमावस्या के दिन प्रातःकाल स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
2. इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं।
3. अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करें।
4. यदि आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी कर सकते हैं।
5. हर अमावस्या की भांति माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माघ अमावस्या पर मौन रहने का विशेष महत्व बताया गया है। वहीं यदि मौन रहना संभव न हो तो अपने मुख से कटु वचन न बोलें। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है और अमावस्या के दिन चंद्र दर्शन नहीं होते हैं। इससे मन की स्थिति कमजोर रहती है। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा का विधान है।