अक्टूबर 17, 2085 को 21:11:55 से अमावस्या आरम्भ
अक्टूबर 18, 2085 को 22:32:02 पर अमावस्या समाप्त
महाभारत के शांति पर्व में स्वयं भगवान श्री कृष्ण द्वारा कार्तिक अमावस्या के बारे में कहे गये वचनों से इसकी महत्वत्ता और भी बढ़ जाती है।
● इस दिन प्रातःकाल जागकर नदी, जलाश्य या पवित्र कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के पश्चात बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें।
● ग्रह संबंधित दोष और नवग्रहों की शांति के लिए प्रातःकाल नवग्रह स्त्रोत का पाठ करें।
● इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम के जाप की विशेष महिमा है। इसके प्रभाव से कुंडली में कितना भी खराब योग हो, वह दूर हो जाता है।
● कार्तिक अमावस्या को किसी देवालय या गरीब व्यक्ति के घर जाकर दीपक जलाने से शनि ग्रह से संबंधित पीड़ा दूर होती है।
● कार्तिक अमावस्या के दिन शिवलिंग का शहद से अभिषेक करना चाहिए।
कार्तिक अमावस्या पर दिवाली की रात दीये जलाने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे और इसी खुशी में अयोध्या वासियों ने घर-घर दीपक जलाकर खुशियां मनाई थीं। हालांकि दिवाली के दिन दीये जलाने को लेकर एक और मान्यता है। कहा जाता है कि पितृ पक्ष में जब पितृगण धरती पर आते हैं तो उन्हें पुनः पितृ लोक पहुंचने में परेशानी न हो, इसलिये दीयों से प्रकाश किया जाता है। हालांकि इस प्रथा का प्रचलन विशेष रूप से बंगाल में है।