अक्टूबर 15, 2096 को 10:21:43 से अमावस्या आरम्भ
अक्टूबर 16, 2096 को 12:01:31 पर अमावस्या समाप्त
आश्विन अमावस्या के दिन पितृ पक्ष समाप्त होते हैं इसलिए इस दिन पितरों के पूजन का बड़ा महत्व है।
● इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें।
● इस दिन संध्या के समय दीपक जलाएँ और पूड़ी व अन्य मिष्ठान दरवाजे पर रखें। ऐसा इसलिए करना चाहिये ताकि पितृगण भूखे न जाएँ और दीपक की रोशनी में पितरों को जाने का रास्ता दिखाएँ।
● यदि किसी वजह से आपको अपने पितृों के श्राद्ध की तिथि याद न हो तो, इस दिन उनका श्राद्ध किया जा सकता है।
● इसके अलावा यदि आप पूरे श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण नहीं कर पाये हैं तो, इस दिन पितरों का तर्पण कर सकते हैं।
● इस दिन भूले-भटके पितरों के नाम से किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
ज्ञात और अज्ञात पितृों के पूजन के लिए आश्विन अमावस्या का बड़ा महत्व है, इसलिए इसे सर्व पितृजनी अमावस्या और महालय विसर्जन भी कहा जाता है। इस अमावस्या का श्राद्धकर्म के साथ-साथ तांत्रिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व है। आश्विन अमावस्या की समाप्ति पर अगले दिन से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो जाते हैं। माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों के आराधक और तंत्र साधना करने वाले इस अमावस्या की रात्रि को विशिष्ट तांत्रिक साधनाएँ करते हैं।