एस्ट्रोसेज आपके लिये लाया है जनवरी 2044 कैलेंडर जिसमें आपको इस महीने से जुड़ी सारी जानकारियां मिलेंगी। इस जनवरी आने वाले सभी व्रत, त्योहारों और छुट्टियों पर एक नज़र डालें।
| रविवार | सोमवार | मंगलवार | बुधवार | गुरुवार | शुक्रवार | शनिवार |
|---|---|---|---|---|---|---|
|
द्वादशी (कृष्ण) 12 27 |
द्वादशी (कृष्ण) 12 28 |
त्रयोदशी (कृष्ण) 13 29 |
चतुर्दशी (कृष्ण) 14 30 |
15 31 |
प्रतिपदा (शुक्ल) 1 1 |
द्वितीया (शुक्ल) 2 2 |
|
तृतीया (शुक्ल) 3 3 |
चतुर्थी (शुक्ल) 4 4 |
पंचमी (शुक्ल) 5 5 |
षष्ठी (शुक्ल) 6 6 |
सप्तमी (शुक्ल) 7 7 |
अष्टमी (शुक्ल) 8 8 |
नवमी (शुक्ल) 9 9 |
|
दशमी (शुक्ल) 10 10 |
एकादशी (शुक्ल) 11 11 |
द्वादशी (शुक्ल) 12 12 |
त्रयोदशी (शुक्ल) 13,14 13 |
15 14 |
प्रतिपदा (कृष्ण) 1 15 |
द्वितीया (कृष्ण) 2 16 |
|
तृतीया (कृष्ण) 3 17 |
चतुर्थी (कृष्ण) 4 18 |
पंचमी (कृष्ण) 5 19 |
षष्ठी (कृष्ण) 6 20 |
सप्तमी (कृष्ण) 7 21 |
अष्टमी (कृष्ण) 8 22 |
नवमी (कृष्ण) 9 23 |
|
दशमी (कृष्ण) 10 24 |
एकादशी (कृष्ण) 11 25 |
द्वादशी (कृष्ण) 12 26 |
त्रयोदशी (कृष्ण) 13 27 |
चतुर्दशी (कृष्ण) 14 28 |
चतुर्दशी (कृष्ण) 14 29 |
15 30 |
|
प्रतिपदा (शुक्ल) 1 31 |
द्वितीया (शुक्ल) 2 1 |
तृतीया (शुक्ल) 3 2 |
चतुर्थी (शुक्ल) 4 3 |
पंचमी (शुक्ल) 5 4 |
षष्ठी (शुक्ल) 6 5 |
सप्तमी (शुक्ल) 7,8 6 |
नोट: (कृष्ण) - कृष्ण पक्ष तिथि, (शुक्ल) - शुक्ल पक्ष तिथि
| जनवरी 2044 | त्यौहार |
|---|---|
| 11 सोमवार | पौष पुत्रदा एकादशी |
| 12 मंगलवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 14 गुरुवार | पौष पूर्णिमा व्रत |
| 15 शुक्रवार | पोंगल, उत्तरायण, मकर संक्रांति |
| 17 रविवार | संकष्टी चतुर्थी |
| 25 सोमवार | षटतिला एकादशी |
| 27 बुधवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 28 गुरुवार | मासिक शिवरात्रि |
| 30 शनिवार | माघ अमावस्या |
मासिक कैलेंडर जनवरी 2044 के लिये
कैलेंडर एक ऐसी प्रणाली है जिसके जरिये हम महत्वपूर्ण तिथियों, दिन, समय और महत्वपूर्ण घटनाओं का रिकॉर्ड रखते हुए खुद को व्यवस्थित रखते हैं। दुनिया भर में विभिन्न कैलेंडर उपयोग किए जाते हैं और इनका इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है। समय की सही जानकारी प्राप्त करने के लिये सबसे ज्यादा ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल होता है जिसमें सात दिन और बारह महीने होते हैं। इसमें दिन सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार, वहीं महीनों की बात की जाए तो, जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर बारह महीने होते हैं। हालांकि दुनिया के विभिन्न क्षेत्र के लोग अपने महत्वपूर्ण त्योहारों को जानने के लिये पारंपरिक या प्राचीन कैलेंडर का प्रयोग करते हैं। फिर भी, विभिन्न क्षेत्र अभी भी अपने महत्वपूर्ण त्योहारों और इस तरह की गणना के लिए पारंपरिक और स्थानीय कैलेंडर पर निर्भर करते हैं। भारत में वैसे तो सभी प्रशासनिक कार्यों में ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल होता है, लेकिन भारत के प्रमुख त्योहारों और व्रत की तिथियों की गणना के लिए, पंचांग का ध्यान रखा जाता है।
हिंदू पंचांग
पूरे भारत में भले ही हिंदू पंचांग सबसे प्रसिद्ध कैलेंडर है फिर भी कई अन्य कैलेंडर भी हैं जिन्हें भारत के अलग-अलग राज्यों में प्रमुखता दी जाती है। उदाहरण के लिये:
- शालिवाहन शक, इसे शक संवत् के नाम से जाना जाता है और इसका इस्तेमाल दक्षिण भारत में किया जाता है।
- विक्रम संवत् (बिक्रमी) उत्तर और मध्य भारत में प्रचलित है।
- तमिलनाडु में तमिल कैलेंडर प्रचलित है।
- बंगाल क्षेत्र में बंगाली कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है।
- केरल में मलयालम कैलेंडर इस्तेमाल किया जाता है। यह कैलेंडर सूर्य चक्र पर आधारित होता है जबकि ऊपर दिये गये बाकी कैलेंडर चंद्र चक्र पर आधारित होते हैं।
हिंदू कैलेंडर या हिंदू पंचांग, ग्रेगोरियन कैलेंडर से जटिल है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में हर चार साल में एक महीने में एक दिन जोड़ा जाता है, ताकि 354 चंद्र और 365 सौर दिनों के बीच तालमेल बैठ सके लेकिन पूर्व में इसके लिये अधिक जटिल स्वरूप है। चंद्र माह की समग्रता को बनाए रखने के लिए, भारतीय कैलेंडर में विस्तृत गणना के माध्यम से हर कुछ वर्षों में एक पूरा महीना जोड़ दिया जाता है।
मासिक 2044 कैलेंडर
यहां मासिक 2044 कैलेंडर में ग्रेगोरियन स्वरुप को इस्तेमाल किया गया है; हालांकि हिंदू व्रत और त्योहारों की गणना हिंदू कैलेंडर पर ही आधारित होते हैं। नये साल को जनवरी की 1 तारीख का प्रचलन है हालांकि हिंदू नववर्ष मार्च-अप्रैल हिंदू महीने चैत्र में आता है। आइए अब एक नज़र डालते हैं कि, दोनों कैलेंडरों के महीने कैसे मेल खाते हैं और इन दोनों में क्या अंतर हैं:
- चैत्र (मार्च–अप्रैल)
- वैशाख (अप्रैल-मई)
- ज्येष्ठ (मई-जून)
- श्रावण (जुलाई-अगस्त)
- भाद्रपद (अगस्त-सितंबर)
- आश्विन (सितंबर-अक्टूबर)
- कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर)
- मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसंबर)
- पौष (दिसंबर-जनवरी)
- माघ (जनवरी-फरवरी)
- फाल्गुन (फरवरी-मार्च)
जैन मासिक कैलेंडर 2044
जैन कैलेंडर 2044, विक्रम और शक संवत् पंचांगों की तरह ही एक चंद्र-सौर कैलेंडर है। इसमें सौर दिनों के साथ चंद्र दिनों का मिलान करने के लिए हर तीन साल में एक अतिरिक्त महीना शामिल किया जाता है, और इसकी दिनांकों को तिथि के नाम से जाना जाता है। यहाँ जैन मासिक कैलेंडर के महीने और वह ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ कैसे मेल खाते हैं इसकी सूची भी दी गई है:
- कर्तक् (अक्टूबर-नवंबर)
- माग्सर् (नवंबर-दिसंबर)
- पोश् (दिसंबर-जनवरी)
- फ़ागन् (फरवरी-मार्च)
- चैत्र (मार्च-अप्रैल)
- वैशख् (अप्रैल-मई)
- जेथ् (मई-जून)
- अशध् (जून-जुलाई)
- श्रवन् (जुलाई-अगस्त)
- भदर्वो (अगस्त-सितंबर)
- आसो (सितंबर-अक्टूबर)
इस्लामिक मासिक कैलेंडर 2044
हिंदू पंचांग और सूर्य-चंद्र पर आधारित इसके विभिन्न वर्गीकरणों के विपरीत, इस्लामिक कैलेंडर या हिज्रि कैलेंडर पूर्ण रुप से चंद्र पर आधारित होता है। यह कैलेंडर चंद्रमा की कलाओं पर आधारित है, और इसीलिये इसमें 12 महीनों में केवल 354 या 355 दिन होते हैं। नतीजतन, इस्लामिक कैलेंडर ग्रेगोरियन की तुलना में छोटा है, और लगातार बदलता है। इस्लामी कैलेंडर के बारह महीनों में प्रत्येक का कुछ न कुछ अर्थ होता है।
| क्र.संं | हिंदी में महीने का नाम | अरबी में महीने का नाम |
|---|---|---|
| 1 | मुहर्रम | مُحَرَّم |
| 2 | सफ़र | صَفَر |
| 3 | रबी अल-अव्वल | رَبِيع ٱلْأَوَّل |
| 4 | रबी अल-थानी ( रबी अल-आखिर) | ربيع الثاني or رَبِيع ٱلْآخِر |
| 5 | जमाद अल-अव्वल | جُمَادَىٰ ٱلْأُولَىٰ |
| 6 | जमादि उल आखिर | جُمَادَىٰ ٱلْآخِرَة |
| 7 | रजब | رَجَب |
| 8 | शआबान | شَعْبَان |
| 9 | रमजा़न या रमदान | رَمَضَان |
| 10 | शव्वाल | شَوَّال |
| 11 | ज़ु अल-क़ादा | ذُو ٱلْقَعْدَة |
| 12 | ज़ु अल-हज्जा | ذُو ٱلْحِجَّة |
तमिल मासिक कैलेंडर 2044
तमिलनाडु और उसके निवासियों के द्वारा प्रयोग किये जाने वाले कैलेंडर को तमिल कैलेंडर कहा जाता है। इसके महीने हिंदू पंचांग के महीनों के साथ मेल खाते हैं, हालांकि इनके नामों में अंतर है।
| क्र.सं | तमिल में महीने का नाम | हिंदी में तमिल महीने का नाम | हिंदी महीना | ग्रेगोरियन कैलेंडर समकक्ष |
|---|---|---|---|---|
| 1 | சித்திரை | चित्थिरई | चैत्र | अप्रैल से मई |
| 2 | வைகாசி | वईकासी | वैशाख | मई से जून |
| 3 | ஆனி | आनी | ज्येष्ठ | जून से जुलाई |
| 4 | ஆடி | आडी | आषाढ़ | जुलाई से अगस्त |
| 5 | ஆவணி | अवनी | श्रावण | अगस्त से सितंबर |
| 6 | புரட்டாசி | पुरट्टासी | भाद्रपद | सितंबर से अक्टूबर |
| 7 | ஐப்பசி | आईपसी | अश्विन | अक्टूबर से नवंबर |
| 8 | கார்த்திகை | कार्तिकई | कार्तिक | नवंबर से दिसंबर |
| 9 | மார்கழி | मार्कली | मार्गशीर्ष | दिसंबर से जनवरी |
| 10 | தை | ताई | पौष | जनवरी से फरवरी |
| 11 | மாசி | मासी | माघ | फरवरी से मार्च |
| 12 | பங்குனி | पंकुनी | फाल्गुन | मार्च से अप्रैल |
चाइनीज मासिक कैलेंडर 2044
हिंदू पंचांग की तरह ही चीनी कैलेंडर में भी 12-महीनों में 354 दिन होते हैं, और चंद्र और सौर दिनों में तालमेल बैठाने के लिये चाइनीज कैलेंडर में हर तीन साल में एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है जिसे बड़ा साल कहा जाता है। चीनी कैलेंडर में महीनों को मूल रूप से प्राकृतिक घटनाओं के नाम पर रखा गया था - चाइनीज महीनों के नाम जीव और पौधों से जुड़े हुए हैं। महीनों को नाम देने का एक तरीका अर्थली ब्रांच कहलाता है पर आधुनिक तरीकों में संख्याओं से महीनों का नाम दिया जाता है। आइये एक बार चाइनीज कैलेंडर के महीनों पर नजर डालते हैं।
| क्र.सं | ग्रेगोरियन महीना | अर्थली ब्रांच महीना | महीने का आधुनिक नाम |
|---|---|---|---|
| 1 | जनवरी-फरवरी | बाघ महीना | 正月; पहला महीना |
| 2 | फरवरी-मार्च | खरगोश महीना | 二月; दूसरा महीना |
| 3 | मार्च-अप्रैल | ड्रैगन महीना | 三月; तीसरा महीना |
| 4 | अप्रैल-मई | सांप महीना | 四月; चौथा महीना |
| 5 | मई-जून | घोड़ा महीना | 五月; पांचवां महीना |
| 6 | जून-जुलाई | बकरी महीना | 六月; छठा महीना |
| 7 | Jजुलाई-अगस्त | बंदर महीना | 七月; सातवां महीना |
| 8 | अगस्त-सितंबर | मुर्गा महीना | 八月; आठवां महीना |
| 9 | सितंबर-अक्टूबर | कुत्ता महीना | 九月; नवां महीना |
| 10 | अक्टूबर-नवंबर | सुअर महीना | 十月; दसवां महीना |
| 11 | नवंबर-दिसंबर | चुहा महीना | 十一月; ग्यारहवां महीना |
| 12 | दिसंबर-जनवरी | बैल महीना | 臘月; 腊月; बारहवां महीना |
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