फाल्गुन पूर्णिमा व्रत 2085
2085 में फाल्गुन पूर्णिमा कब है?
11
मार्च, 2085
(रविवार)
फाल्गुन पूर्णिमा व्रत मुहूर्त New Delhi, India के लिए
मार्च 10, 2085 को 16:12:47 से पूर्णिमा आरम्भ
मार्च 11, 2085 को 17:58:27 पर पूर्णिमा समाप्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि को फाल्गुन पूर्णिमा कहते हैं। हिन्दू धर्म में फाल्गुन पूर्णिमा का धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा का उपवास रखने से मनुष्य के दुखों का नाश होता है और उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। वहीं इस तिथि को होली का त्यौहार मनाया जाता है।
फाल्गुन पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
हर माह की पूर्णिमा पर उपवास और पूजन की परंपरा लगभग समान है। हालांकि कुछ विशेषताएँ भी होती हैं। फाल्गुन पूर्णिमा पर भगवान श्री कृष्ण का पूजन होता है।
1. पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें और उपवास का संकल्प लें।
2. सुबह सूर्योदय से लेकर शाम को चंद्र दर्शन तक उपवास रखें। रात्रि में चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए।
3. इस दिन स्नान, दान और भगवान का ध्यान करें।
4. नारद पुराण के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा को लकड़ी व उपलों को एकत्रित करना चाहिए। हवन के बाद विधिपूर्वक होलिका पर लकड़ी डालकर उसमें आग लगा देना चाहिए।
5. होलिका की परिक्रमा करते हुए हर्ष और उत्सव मनाना चाहिए।
पढ़ें: होलिका दहन का धार्मिक महत्व और नियम
फाल्गुन पूर्णिमा की कथा
नारद पुराण में फाल्गुन पूर्णिमा को लेकर एक कथा का वर्णन मिलता है। यह कथा राक्षस हरिण्यकश्यपु और उसकी बहन होलिका से जुड़ी है। राक्षसी होलिका भगवान विष्णु के भक्त और हरिण्यकश्यपु के पुत्र प्रह्लाद को जलाने के लिए अग्नि स्नान करने बैठी थी लेकिन प्रभु की कृपा से भक्त प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका स्वयं ही अग्नि में भस्म हो गई। इस वजह से पुरातन काल से ही मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लकड़ी व उपलों से होलिका का निर्माण करना चाहिए और शुभ मुहूर्त में विधि विधान से होलिका दहन करना चाहिए। होलिका दहन के समय भगवान विष्णु व भक्त प्रह्लाद का स्मरण करना चाहिए।